Home Top News बेबाक भाषण और कूटनीतिक सूझबूझ जिसकी बनी पहचान, विदेश मंत्रालय की बदल डाली सूरत

बेबाक भाषण और कूटनीतिक सूझबूझ जिसकी बनी पहचान, विदेश मंत्रालय की बदल डाली सूरत

by Live Times
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Sushma Swaraj Death Anniversary

Sushma Swaraj Death Anniversary : भारतीय जनता पार्टी की नेता सुषमा स्वराज की आज पुण्य तिथि है. आज के दिन ही स्वास्थ्य कारणों की वजह से उनका निधन हो गया था.

Sushma Swaraj Death Anniversary : भारतीय राजनीति की प्रखर आवाज रही और भारतीय जनता पार्टी की नेता सुषमा स्वराज की छठींं पुण्य तिथि है. वह चेहरा जो आज के दिन ही हमेशा के लिए गायब हो गई. जब वो संसद में बोलती थीं तो हर कोई उनके भाषण से मंत्रमुग्ध हो जाता था और ध्यान से सुनता रहता था. आज ही के दिन स्वास्थ्य संबंधी कारणों की वजह से 6 अगस्त, 2019 को उनका निधन हो गया था. वे भारतीय राजनीति की एक ऐसी नेता थीं, जिन्होंने अपने भाषण और कूटनीतिक सूझबूझ से देश-विदेश में अपनी अमिट छाप छोड़ी है.

कहां हुआ था उनका जन्म?

उनका जन्म हरियाणा के अंबाला में 14 फरवरी, 1952 को हुआ था. वह न केवल भारत की पहली महिला विदेश मंत्री के रूप में सामने आई थीं, बल्कि दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और हरियाणा की सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री भी रही थीं. सुषमा स्वराज ने साल 1970 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद से उन्होंने कभी पीछे नहीं देखा. साल 1977 में 25 साल की उम्र में वह हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनीं, जिसने उन्हें राष्ट्रीय लेवल पर पहचान दिलाई.

पहली महिला मुख्यमंत्री के तौर पर खिलीं

सुषमा स्वराज अपने बेबाक अंदाज के लिए जानी जाती थीं. साल 1980 में BJP का दामन थामने के बाद से उन्होंने यूपी के अयोध्या में उमा भारती के साथ राम मंदिर आंदोलन में हिस्सा लिया और शक्ति के रूप में सामने आई. इसके बाद से साल 1988 में उन्होंने दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री के तौर पर काम किया. हालांकि, उनका कार्यकाल केवल 52 दिनों का ही रहा. इसके बाद वर्ष 1990 में उन्हें राज्यसभा का सदस्य चुना गया. 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली 13 दिन की BJP सरकार के दौरान उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया था.

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विदेश मंत्रालय के काम से मिली पहचान

वर्ष 2014 से लेकर 2019 तक मोदी सरकार के कार्यकाल में सुषमा स्वराज ने विदेश मंत्री के रूप में काम किया. उनके आने से भारतीय कूटनीति को नया आयाम मिला. उन्होंने विदेश नीति पर इस तरह से काम किया कि उसे जन-केंद्रित बना दिया. सोशल मीडिया के जरिए उन्होंने विदेश में फंसे लोगों या उनसे जुड़ी कोई भी दिक्कत को दूर करने के लिए खूब मदद की. सुषमा स्वराज का नाम उन नेताओं में शामिल है, जिन्होंने कमान थामते ही मंत्रालय की सूरत बदल दी.

बेटी ने मां को किया याद

इस मौके पर उनकी बेटी बांसुरी स्वराज ने उन्हें याद किया है. सोशल मीडिया एक्स पर अपनी मां की तस्वीर पोस्ट की और उन्होंने लिखा कि

छह बरस हो गए मां…

पर आज भी अनायास ही आंखें आपको ढूंढ लेती हैं, भीड़ में, संसद की तस्वीरों में, हर उस मोड़ पर जहां आप होतीं तो मुझे थाम लेतीं.

छह बरस हो गए मां…
पर हर उपलब्धि पर दिल सबसे पहले आपकी आंखें तलाशता है, क्योंकि आपकी नजर से मिली शाबाशी ही मेरी सबसे बड़ी जीत होती थी.

छह बरस हो गए मां…
लेकिन आप अब भी हर धड़कन में गूंजती हैं,
हर संघर्ष में संबल बनकर साथ चलती हैं.

मेरी राह आज भी आपके आशीर्वाद से रोशन है.
Miss you, Ma!

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