Home Top News अभिमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज का बड़ा बयान, कहा- मंदिर तोड़कर बनी मस्जिदें इस्लाम के खिलाफ

अभिमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज का बड़ा बयान, कहा- मंदिर तोड़कर बनी मस्जिदें इस्लाम के खिलाफ

by Live Times
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Swami Avimukteshwarananda spoke on the temple mosque dispute

Temple Mosque Dispute : देश में मंदिर और मस्जिद को लेकर उपजे विवाद पर ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य अभिमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने बड़ा बयान दिया है.

नितिन ठाकुर, लाइव टाइम्स ब्यूरो भोपाल : मंदिरों को तोड़कर अथवा मंदिरों को मस्जिद में तब्दील करने के कई मामले देश की विभिन्न अदालतों में चल रहे हैं. पिछले दिनों संभल (उत्तर प्रदेश) में जामा मस्जिद का सर्वे करने गई टीम पर पथराव के बाद बवाल भी हुआ था. उपासना स्थल अधिनियम, 1991 के कुछ प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी प्रस्तावित है. इस बीच ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य अभिमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने मंदिर-मस्जिद को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि मंदिर तोड़कर बनी मस्जिदें इस्लाम के खिलाफ हैं.

मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनाना इस्लाम के खिलाफ

शंकराचार्य अभिमुक्तेश्वरानंद महाराज ने मुस्लिम समुदाय से अपील करते हुए कहा कि वह अपने पूर्वजों की गलतियों को दोहराने से बचें. उन्होंने दोहराया कि मंदिर तोड़कर बनी मस्जिदें इस्लाम के खिलाफ हैं. नरसिंहपुर के झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में शंकराचार्य अभिमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनाई गई हैं, जो इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है.

पूजा पाठ की मिले अनुमति

उन्होंने कहा कि किसी के कब्जे की जमीन पर मस्जिद बनाकर की गई इबादत को खुदा भी कबूल नहीं करता है. शंकराचार्य ने मुस्लिम समुदाय से अपील करते हुए कहा कि पत्थरबाजी जैसे कृत्यों से बचना चाहिए. उन्होंने पत्थरबाजी जैसे कृत्यों की निंदा भी की. शंकराचार्य ने कहा कि जहां-जहां मंदिर तोड़कर मस्जिदें बनाई गई हैं, वहां प्रमाणों के आधार पर पूजा पाठ की अनुमति मिलनी चाहिए. यहां पर बता दें कि देश में कुछ जगहों पर बनी मस्जिदों को लेकर विवाद गहराया हुआ है. हिंदू संगठनों का दावा है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है या फिर मंदिर को ही मस्जिद का रूप दिया गया है. इसको लेकर अब हिंदू संगठन कोर्ट का रुख कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें: क्या है उपासना स्थल अधिनियम 1991

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