Home Top News मुर्शिदाबाद हिंसा में वापस ली गई याचिका, SC ने दिया समय, कहा-‘बेजुबानों को मिले न्याय’

मुर्शिदाबाद हिंसा में वापस ली गई याचिका, SC ने दिया समय, कहा-‘बेजुबानों को मिले न्याय’

by Rishi
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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने वकील शशांक से पूछा कि क्या उनकी याचिका में इस्तेमाल किए गए शब्द और अभिव्यक्तियां उचित हैं. कोर्ट ने कहा कि याचिका में शालीनता का ध्यान रखना चाहिए.

Supreme Court: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून को लेकर जमकर विरोध प्रदर्शन हुए जिनमें 3 लोगों की मौत भी हो गई. लोगों के घरों में आग लगा दी गई, कई लोग जख्मी हुए. फिर इस हिंसा के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसपर आज सुनवाई हुई. इस मामले पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने सुनवाई की.

सुप्रीम कोर्ट रिकॉर्ड की अदालत है

बता दें कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विष्णु शंकर जैन के द्वारा याचिका दायर की गई थी. याचिका में वकील ने कहा कि कहा कि इस प्रकार की एक और याचिका है जिसको भी इस याचिका के साथ जोड़ दीजिए. लेकिन कोर्ट ने इससे मना कर दिया. जस्टिस कांत ने इस बारे में कहा कि सुप्रीम कोर्ट रिकॉर्ड की अदालत है. भावी पीढ़ी भी इसको देखेगी. आप ये समझते हैं कि इसकी रिपोर्ट की जाएगी, लेकिन इसके बाद भी आपको कोई फैसला सुनाते समय, याचिका दायर करते समय सावधान रहने की जरूरत है.

‘आप इतनी जल्दी में क्यों हैं’, सुप्रीम कोर्ट ने वकील से किया सवाल

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने वकील से सवाल किया कि आपने कितने PIL दायर किए हैं. अनुच्छेद 32 के अनुसार हमें इन्हें क्यों सुनना चाहिए. इसपर वकील ने कहा कि पालघर में साधुओं की हत्या के मामले में मैंने ही याचिका दायर करवाई थी. बंगाल में जो कुछ भी घटा वह मानवाधिकारों के उल्लंघन का केस है, इसके साथ ही ममता राज में राज्य में कानून व्यवस्था बेहद खराब हालत में है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर पूछा कि राज्य में कानून व्यवस्था के खराब होने की जानकारी आपको कहां से प्राप्त हुई. इस पर वकील ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला दिया. सुप्रीम कोर्ट ने वकील पर जल्दबाजी करने की बात कही ,जिसपर वकील ने संशोधन के लिए याचिका वापस दिए जाने की अपील की.

“बेजुबानों को न्याय मिलना अच्छा है”

सुप्रीम कोर्ट ने वकील शशांक से पूछा कि क्या उनकी याचिका में इस्तेमाल किए गए शब्द और अभिव्यक्तियां उचित हैं. कोर्ट ने कहा कि याचिका में शालीनता का ध्यान रखना चाहिए. शशांक ने कहा कि रेलवे की प्रेस विज्ञप्ति में भी ऐसे ही शब्दों का इस्तेमाल हुआ है. कोर्ट ने जवाब दिया कि यह रेलवे का आंतरिक मामला है, और कोर्ट सिर्फ सलाह दे सकता है. कोर्ट ने यह भी कहा कि “बेजुबानों को न्याय मिलना अच्छा है.”

‘किसी पर आरोप लगा रहे हैं, तो उन्हें पक्षकार बनाना होगा’

शशांक ने कहा कि बंगाल में लोग सड़कों पर विरोध कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि आप कह रहे हैं कि वहां कानून-व्यवस्था खराब है. लेकिन आपकी याचिका में इस समस्या के कारण और समाधान का जिक्र नहीं है. कोर्ट ने यह भी कहा कि शशांक ने कुछ लोगों पर आरोप लगाए, जो इस मामले में पक्षकार नहीं हैं. शशांक ने कहा कि वे सरकारी अधिकारी हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर आप किसी पर आरोप लगा रहे हैं, तो उन्हें पक्षकार बनाना होगा. बिना पक्षकार बनाए उनके खिलाफ आरोप स्वीकार नहीं किए जा सकते.

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