Home Top News बिहार में इस बार ‘बहार’ नहीं बल्कि गोलियों और इंफ्रास्ट्रक्चर पर है ‘रार’, अटैकिंग मोड में कांग्रेस

बिहार में इस बार ‘बहार’ नहीं बल्कि गोलियों और इंफ्रास्ट्रक्चर पर है ‘रार’, अटैकिंग मोड में कांग्रेस

by Vikas Kumar
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Kanhaiya Kumar

कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधा है. कन्हैया कुमार ने अपराध और राज्य में प्रिंसिपलों की नियुक्ति के मुद्दे को उठाया.

Kanhaiya Kumar Slams Bihar Government: कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपराध के मुद्दे पर नीतीश सरकार पर निशाना साधा है. कन्हैया कुमार ने सिर्फ अपराध का ही जिक्र नहीं किया बल्कि कई मुद्दों पर राज्य सरकार को घेरा है. कन्हैया की प्रेस कॉन्फ्रेंस की बातों को कांग्रेस ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किया है. कांग्रेस के एक्स पोस्ट के मुताबिक, कन्हैया ने कहा, “सुशासन के तमाम दावों के बावजूद बिहार में कोई ऐसा दिन नहीं बीतता, जब गोलियां न चलें. राज्य में ऐसा कोई शहर नहीं है, जहां गोलियां न चल रही हों. अपराधी खुले तौर पर अपराध कर रहे हैं और बिहार के डिप्टी सीएम बेशर्मी के साथ कहते हैं कि ‘ऑर्गनाइज्ड क्राइम’ खत्म हो गया है. बिहार में जो अपराध की स्थिति है, उससे पता चलता है कि ये ‘डबल इंजन’ एक-दूसरे की उल्टी दिशा में चल रहे हैं. इस सरकार का पूरा फोकस बिहार के लोगों को लूटना है, जो कि बेदह चिंताजनक है. मैं, बिहार के लोगों से कहना चाहता हूं, जिस सरकार को आपकी चिंता न हो, उसकी कुर्सी छीन लीजिए.”

प्रिंसिपलों की नियुक्ति पर क्या कहा?

कन्हैया कुमार ने कहा, “बिहार से एक अजीब घटना सामने आई, जहां कॉलेजों के प्रिंसिपलों की नियुक्ति लॉटरी के माध्यम से की गई, जिसके बाद महिला कॉलेज में भी पुरुष प्रिंसिपल बना दिए गए. इसके बाद वाइस चांसलर का एक इंटरव्यू आया, जिसमें वे बहुत सारी सफाई दे रहे हैं. उन्होंने अपने इंटरव्यू में जो बातें कही है, उससे बिहार की शिक्षा व्यवस्था की स्थिति का पता चलता है.
⦁उन्होंने कहा कि शहर के कॉलेजों में प्रिंसिपल बनने के लिए बड़े-बड़े लोगों की सिफारिश आती है, इसलिए हमने लॉटरी निकाली
⦁साथ ही कहा कि ऐसा कोई नियम नहीं है, जिसमें लिखा हो कि महिला कॉलेज का प्रिंसिपल पुरुष नहीं बन सकता. बिहार की शिक्षा व्यवस्था को लेकर एक कहावत सटीक बैठती है- “अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी, टके सेर खाजा” मतलब मनमाने तरीके से बिहार में शिक्षा व्यवस्था चल रही है. यह कहने को तो उच्च शिक्षा है, जो अपने निम्नतम स्तर पर है. आप किसी भी कॉलेज में छात्रों की संख्या देखेंगे तो पता चलेगा कि 4 कमरे का कॉलेज है, लेकिन हजारों छात्रों का रजिस्ट्रेशन किया गया है. मतलब पैसा दीजिए, डिग्री लीजिए. यहां सिर्फ डिग्री दी जा रही है. पढ़ाई के नाम पर कुछ नहीं होता है.”

‘नहीं होती नियमित क्लास’

कन्हैया कुमार ने कहा, “बिहार में इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर कुछ नहीं है. यहां छात्रों को सारी व्यवस्थाएं खुद ही करनी पड़ती हैं.
⦁ यहां नियमित क्लास नहीं होती
⦁ सेशन कभी भी समय पर नहीं होता
⦁ इंफ्रास्ट्रक्चर बेहद जर्जर हालात में हैं
⦁ विश्वविद्यालय लूट का अड्डा बन चुके हैं
⦁ कैपिसिटी से ज्यादा छात्र रजिस्टर्ड होते हैं
छात्र पैसा देकर एडमिशन लेते हैं, लेकिन…
⦁ न उन्हें पढ़ाया जाता है
⦁ न लैब की सुविधा दी जाती है
⦁ न लाइब्रेरी की सुविधा मिलती है

इसके उलट जब आप डिग्री लेने जाएंगे तो आपसे मिठाई खाने के नाम पर रिश्वत लिए बिना डिग्री नहीं दी जाएगी. ये लॉटरी से प्रिंसिपल बनाना, इसी सिस्टम का पर्दाफाश करता है। ये पूरा कट-कमीशन का सिस्टम है. वही वाइस चांसलर बनता है, जिसकी सरकार में पहुंच है. ऐसे लोग वाइस चांसलर बनने के बाद कॉलेज के CEO की तरह काम करते हैं. इनका काम होता है कि कैसे कॉलेज से उगाही करें और कट-कमीशन ऊपर तक पहुंचाएं. इतना सब हो रहा है और नरेंद्र मोदी बिहार जाकर कहते हैं कि बिहार विकास के इसी रास्ते पर आगे बढ़ेगा. क्या यही विकास है?

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