Home Latest News & Updates पूर्वोत्तर भारत को मिली नई रफ्तार, रेलवे नेटवर्क से जोड़ा गया आइजॉल; शुरू होगा विकास का नया चैप्टर

पूर्वोत्तर भारत को मिली नई रफ्तार, रेलवे नेटवर्क से जोड़ा गया आइजॉल; शुरू होगा विकास का नया चैप्टर

by Sachin Kumar
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Aizawl Mizoram connected broad gauge railway network

North-East India Development : पूर्वोत्तर की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए मिजोरम को रेलवे नेटवर्क से जोड़ने का काम किया है. अब राज्य में लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने के साथ ही पर्यटन को भी मजबूती मिलेगी.

North-East India Development : पूर्वोत्तर भारत के राज्य मिजोरम में 38 साल बाद एक नया इतिहास रचा जा रहा है. मिजोरम जो एक समय थोड़ी की कहानी लगता था अब वह रेल सीटी से जुड़ने के बाद नई पहचान लिखने जा रहा है. इस पर्वतीय राज्य की राजधानी आइजोल को देश के ब्रॉड गेज रेलवे नेटवर्क से जोड़ा गया है. इतना बड़ा सपना ब्रॉड गेज रेलवे नेटवर्क की वजह से पूरा हो सका है. मिजोरम में रेल कनेक्टिविटी आर्थिक विकास और सामाजिक समरसता के लिए एक क्रांतिकारी कदम है. बता दें कि मिजोरम भारत का एक दूरस्थ, पहाड़ी और सीमावर्ती राज्य है. इस राज्य की सीमा असम, मिजोरम, पश्चिम में त्रिपुरा और बांगलादेश व दक्षिण म्यांमार से मिलती हैं. वहीं, समुद्र से कटा होने और पहाड़ी इलाके की वजह से ही ये राज्य अभी तक सड़क मार्गों से दूसरे इलाके से जुड़ा हुआ था.

51.38 किमी लंबी रेलवे लाइन बनाई गई

वहीं, सीमित सड़क संपर्क और अधूरे बुनियादी ढांचे की वजह से विकास की मुख्यधारा से काफी अछूता था. प्रधानमंत्री मोदी नरेन्द्र मोदी (PM Modi Narendra Modi) ने 29 नवंबर 2014 को बइरली-सायरंग रेल परियोजना की आधारशिला रखी थी. इसके बाद साल 2014-15 में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी की गई और 2015-16 से निर्माण कार्य शुरू हो गया. वहीं, कई सारी चुनौतियों को पार करने के बाद परियोजना 2025 में पूरा हो गई और रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS) ने इसके संचालन की अनुमति प्रदान की. दरअसल, परियोजना के तहत 51.38 किमी लंबी ब्रॉड गेज रेलवे लाइन का निर्माण किया गया है, जिस पर 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन दौड़ेगी. इस रेल नेटवर्क में बइरबी से सायरंग के बीच हॉर्तोकी, कवनपुई और मुआलखांग स्टेशन बनाए गए हैं और इस नेटवर्क के बीच में 48 सुरंगें बनाई गई हैं.

मिजोरम के लोगों को मिलेगी सुविधा

इसके अलावा इस नेटवर्क में 55 बड़े पुल, 87 छोटे पुल, 5 रोड ओवरब्रिज और 9 रोड अंडरब्रिज भी बनाए गए हैं. इनमें सबसे ऊंचा पुल 104 मीटर ऊंचा बनाया गया है. बताया जा रहा है कि यह परियोजना 7,714 करोड़ की लागत से तैयार की गई है और इसका निर्माण उत्तर-पूर्व सीमांत को दी गई थी. इसके अलावा इस परियोजना के माध्यम से मिजोरम के आम नागरिकों को काफी सुविधा मिलेगी और सड़क मार्गों से भी थोड़ी राहत मिलेगी. साथ ही सस्ता परिवहन विकल्प भी उपलब्ध होगा. इससे न केवल स्वास्थय सेवाएं बल्कि उच्च शिक्षा तक पहुंच भी काफी आसान होगी. कृषि उत्पादों को भी देश विभिन्न बाजारों तक कम लागत और कम समय में भी पहुंचा जा सकेगा. दूसरी तरफ पर्यटन की दृष्टि से भी यह परियोजना काफी अहम है, यह घरेलू से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बूस्ट देने का करेगी. दरअसल, रेलवे परियोजना म्यांमार सीमा के करीब होने की वजह से रेलवे लाइन भारत की सामरिक रणनीति को भी मजबूती देने का काम करेगी.

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