बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने जाति जनगणना पर कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए उन्हे सिरे से खारिज कर दिया. बीजेपी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा है.
Sudhanshu Trivedi Attacks Congress on Census: जनगणना के मुद्दे पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. जनगणना पर कांग्रेस के वार पर अब बीजेपी ने पलटवार किया है. मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस पर निशाना साधा. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “कांग्रेस हताशा में जनगणना 2027 पर झूठा और भ्रामक प्रचार कर रही है क्योंकि समाज में विभाजन पैदा करके सत्ता हासिल करने की उसकी उम्मीद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा राष्ट्रव्यापी प्रक्रिया में जाति गणना को शामिल करने के फैसले से खत्म हो रही है.” दरअसल, 16वीं जनगणना पर सरकार की अधिसूचना को “बेकार की बात” करार देते हुए कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि वह इस प्रक्रिया में जाति को शामिल करने पर चुप है और पूछा कि क्या यह सरकार का एक और “यू-टर्न” है?
सुधांशु त्रिवेदी का पलटवार
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “कुछ भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है, जिसमें कहा गया है कि गजट अधिसूचना में जाति गणना का कोई उल्लेख नहीं है, गृह मंत्रालय ने बाद में जोर देकर कहा कि जनगणना 2027 में जाति गणना शामिल होगी.” झूठे दावों के साथ लोगों को गुमराह करने के लिए कांग्रेस की आलोचना करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने आरोप लगाते हुए कहा, “विपक्षी पार्टी का इस तरह के “क्षुद्र” कृत्य का मुख्य उद्देश्य समाज में भ्रम पैदा करना और सत्ता हासिल करना है. चूंकि कांग्रेस अपने उद्देश्य को विफल होते देख रही है, इसलिए उसने “झूठ और छल” फैलाने का सहारा लिया है.” बीजेपी हेडक्वार्टर में सुधांशु त्रिवेदी ने ये आरोप लगाए.
किस प्रेस रिलीज का किया जिक्र?
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “सरकार द्वारा जारी प्रेस रिलीज में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था कि जनगणना के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक मूल्यांकन और जाति जनगणना भी कराई जाएगी. अपनी संकीर्ण सोच और धुंधली दृष्टि, बल्कि एक प्रेरित नापाक दृष्टि से ग्रसित होकर, कांग्रेसी यह नहीं देख पा रहे हैं कि मोदी सरकार के जनगणना कराने के फैसले में स्पष्ट रूप से क्या बताया गया है. वे पूरी तरह से झूठा और भ्रामक प्रचार कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हो रही हैं. कांग्रेस ने हमेशा जाति के नाम पर वोट बैंक की राजनीति की है, लेकिन पिछड़े समुदायों के लिए कुछ नहीं किया. पार्टी ने 1951 में जाति जनगणना (गणना) को रोकने का फैसला किया और काका कालेकर आयोग की रिपोर्ट और मंडल आयोग की रिपोर्ट को जारी नहीं होने दिया.”
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