Home Top News ‘JNU के बाद अब मोदी सरकार के निशाने पर TISS’, जयराम रमेश क्यों साध रहे निशाना?

‘JNU के बाद अब मोदी सरकार के निशाने पर TISS’, जयराम रमेश क्यों साध रहे निशाना?

by Vikas Kumar
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Jairam Ramesh

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करके मोदी सरकार पर निशाना साधा है. जयराम रमेश ने TISS का जिक्र किया है.

Congress Slams Modi Government: कांग्रेस ने TISS यानी कि टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस का जिक्र करके एकबार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज अब नरेंद्र मोदी सरकार के निशाने पर है, उन्होंने दावा किया कि शिक्षा मंत्रालय ने संस्थान को केवल इसलिए अपने नियंत्रण में लिया ताकि इसे “दिशाहीन” छोड़ दिया जाए और भ्रष्ट लोगों को वहां उत्पात मचाने दिया जाए. कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए कहा कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) के कुलाधिपति डी पी सिंह का नाम सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में दर्ज है और मांग की कि उन्हें तुरंत बर्खास्त किया जाए.

बीजेपी ने नहीं दी प्रतिक्रिया

कांग्रेस के आरोपों पर सरकार की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. विपक्षी दल की आलोचना तब सामने आई जब सीबीआई ने स्वास्थ्य मंत्रालय और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अधिकारियों, बिचौलियों और निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के एक नेटवर्क का भंडाफोड़ किया, जो कथित तौर पर मेडिकल कॉलेजों को नियंत्रित करने वाले नियामक ढांचे में हेराफेरी और भ्रष्टाचार सहित “घोर” कृत्यों में शामिल थे. एफआईआर में टीआईएसएस के चांसलर सिंह, गीतांजलि यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार मयूर रावल, रावतपुरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च के चेयरमैन रविशंकर जी महाराज और इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया का भी नाम है.

जयराम रमेश ने लगाया आरोप

कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि पिछले 11 सालों में मोदी सरकार ने प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों पर कब्जा करने की हरसंभव कोशिश की है. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “जेएनयू, दिल्ली यूनिवर्सिटी और विश्वभारती यूनिवर्सिटी पहले निशाने पर थे. अब टीआईएसएस पर हमला हो रहा है. जुलाई 2023 में यूजीसी ने टीआईएसएस में नेतृत्व नियुक्त करने का अधिकार अपने हाथ में ले लिया – जो अब तक स्वतंत्र रूप से संचालित था – इस आधार पर कि संस्थान का अधिकांश वित्त पोषण केंद्र सरकार से आता है.” रमेश ने बताया कि पिछले दो सालों में शिक्षा मंत्रालय पूर्णकालिक कुलपति नियुक्त करने में विफल रहा है. रमेश ने कहा, “इस पद के लिए साक्षात्कार दिसंबर 2024 में ही हुए थे और तब से सात महीने बीत जाने के बाद भी इस पद को भरा नहीं जा सका है. हम केवल कल्पना ही कर सकते हैं कि इस पद को लेकर दिल्ली और नागपुर में क्या-क्या षड्यंत्र चल रहे होंगे.” इस बीच, पिछले महीने, केंद्रीय सतर्कता विभाग से वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतों के बाद प्रो-वीसी को पद छोड़ने के लिए कहा गया था.

ये भी पढ़ें- बिहार में हुई हिंसा और ट्रंप के दावों पर फिर कांग्रेस आक्रामक, BJP-JDU को जमकर घेरा

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