कहा कि सरकार केवल बड़े व्यवसायों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है. आरोप लगाया कि ऐसे व्यावसायिक समूहों की वृद्धि आर्थिक विकास को गति नहीं दे पा रही है. जबकि सरकार के ध्यान न देने से छोटे व्यवसाय बर्बाद हो रहे हैं.
New Delhi: कांग्रेस ने सोमवार को मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला. बड़े औद्योगिक घरानों पर लगातार हमलावर कांग्रेस ने फिर मोदी सरकार को घेरा. कहा कि सरकार केवल बड़े व्यवसायों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है. आरोप लगाया कि ऐसे व्यावसायिक समूहों की वृद्धि आर्थिक विकास को गति नहीं दे पा रही है. जबकि सरकार के ध्यान न देने से छोटे व्यवसाय बर्बाद हो रहे हैं. कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि जीडीपी में उद्योग की हिस्सेदारी घट रही है, ठीक वैसे ही जैसे उद्योग में एकाग्रता बढ़ रही है. जबकि प्रधानमंत्री और उनके ढोल बजाने वाले औद्योगिक विकास पर बड़े-बड़े दावे करते रहते हैं.
छोटे और मध्यम व्यवसायों पर सरकार दे ध्यान
कहा कि तीन तथ्य निर्विवाद हैं – जीडीपी में उद्योग की हिस्सेदारी घट रही है, ठीक वैसे ही जैसे उद्योग में एकाग्रता बढ़ रही है. इसने उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ा दी हैं और यह मुद्रास्फीति के मुख्य स्रोतों में से एक है. रमेश ने कहा कि भारतीय व्यापार जगत में ‘जी-25’के भीतर एक ‘जी-5’है, जिसकी बढ़ती हिस्सेदारी शेष ‘जी-20’ की कीमत पर आ रही है. कांग्रेस नेता ने दावा किया कि बड़े व्यापारिक समूह और भी बड़े हो रहे हैं, लेकिन इससे आर्थिक विकास में तेजी नहीं आ रही है – वास्तव में, इसका उल्टा हो रहा है. उन्होंने इस संबंध में एक लेख का हवाला दिया. रमेश ने कहा कि सरकार को छोटे और मध्यम व्यवसायों पर बड़ा दांव लगाना चाहिए. इसके बजाए मोदी सरकार बड़े व्यवसायों पर अड़ी हुई है.
मोदी सरकार पर आंकड़ों में छेड़छाड़ का आरोप
कांग्रेस मोदी सरकार पर बड़े व्यापारिक घरानों को बढ़ावा देने का आरोप लगाती रही है. यह भी आरोप लगाती रही है कि वह क्रोनी कैपिटलिज्म में लिप्त है. इससे पहले विपक्षी दल ने सरकार पर उसके इस दावे को लेकर भी निशाना साधा कि भारत दुनिया के सबसे समान देशों में से एक है. कहा कि मोदी सरकार “आंकड़ों में छेड़छाड़” करके बढ़ती असमानताओं की कठोर वास्तविकता को आसानी से नहीं टाल सकती. कांग्रेस का हमला एक आधिकारिक विज्ञप्ति के बाद आया है, जिसमें विश्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया है कि भारत में असमानता 2011-12 और 2022-23 के बीच काफी कम हुई है, जिससे यह वैश्विक रूप से चौथा सबसे समान देश बन गया है.
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