महाराष्ट्र में हर गुजरते दिन के साथ हिंदी भाषा पर मचा बवाल गहराता जा रहा है. इस कड़ी में मनसे की रैली रोके जाने और कई नेताओं को हिरासत में लिए जाने पर हंगामा मचा हुआ है.
Marathi-Hindi Row: महाराष्ट्र में हिंदी पर मचा बवाल अब सियासी रूप धारण करता जा रहा है. इस मुद्दे पर जहां करीब दो दशकों के बाद उद्धव और राज ठाकरे साथ आए हैं वहीं अब दोनों की ही महाराष्ट्र सरकार से भी लगातार खींचतान की खबरें सामने आ रही हैं. न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, मराठी-हिंदी विवाद पर हुई रैली पर अब संग्राम छिड़ा है. ताजा विवाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की रैली पर मचा है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को कहा कि पड़ोसी मीरा भयंदर में रैली के लिए अनुमति दे दी गई है, जिसमें मनसे नेताओं ने भाग लेने की योजना बनाई थी, लेकिन पार्टी ने एक विशिष्ट मार्ग पर जोर दिया, जिससे कानून-व्यवस्था की चुनौतियां पैदा हो गईं थीं.
MNS ने क्या कहा?
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के नेता संदीप देशपांडे ने दावा किया कि सरकार उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रही है और पुलिस का उनकी रैली की अनुमति देने का कोई इरादा नहीं है. अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने मंगलवार को ठाणे के मीरा भयंदर इलाके में आयोजित रैली से पहले मनसे के ठाणे और पालघर प्रमुख अविनाश जाधव और कई अन्य पार्टी कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया. इससे पहले व्यापारियों ने मराठी में बात न करने पर एक फूड स्टॉल मालिक को थप्पड़ मारने के खिलाफ प्रदर्शन किया था. प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ नारे लगाए और मोर्चा की अनुमति न देने के लिए उसकी आलोचना की. बता दें कि मीरा भयंदर इलाके में मराठी एकीकरण समिति ने रैली का प्रस्ताव रखा था.
क्या बोले देवेंद्र फडणवीस?
इस मुद्दे पर महाराष्ट्र विधान भवन परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए फडणवीस ने कहा, “रैली आयोजित करने का कोई विरोध नहीं है. मांगे गए मार्ग के लिए अनुमति देना मुश्किल था. पुलिस ने उनसे मार्ग बदलने का अनुरोध किया, लेकिन आयोजक एक खास मार्ग पर अड़े रहे. इससे यातायात बाधित होने या भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो सकती है. अगर वे उचित मार्ग के लिए अनुमति मांगते हैं, तो हम आज और कल भी अनुमति देंगे.” घटनाक्रम का जिक्र करते हुए फडणवीस ने कहा कि सोमवार देर रात सभा आयोजित करने की अनुमति मांगी गई थी, जिसे अनुमति भी दे दी गई. उन्होंने कहा, “लेकिन जब रैली की बात आई, तो वे एक खास रूट पर जोर दे रहे थे. अगर अनुमति दी जाती, तो कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा हो सकती थी. पिछले कई सालों से हम सभी रैलियां कर रहे हैं और ये हमेशा पुलिस से सलाह-मशविरा करने के बाद ही की जाती हैं.”
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