Home राजनीति चुनावी बॉन्ड के जरिए कंपनियों को पहुंचाया फायदा, जल्द होनी चाहिए SIT जांच : वकील प्रशांत भूषण

चुनावी बॉन्ड के जरिए कंपनियों को पहुंचाया फायदा, जल्द होनी चाहिए SIT जांच : वकील प्रशांत भूषण

by Live Times
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चुनावी बॉन्ड के जरिए कंपनियों को पहुंचाया फायदा, जल्द होनी चाहिए SIT जांच; वकील प्रशांत भूषण

Electoral Bond : प्रशांत भूषण ने कहा कि चुनावी बॉन्ड तो पूरी तरह से घूसखोरी है. हमारे प्रिवंसन ऑफ करप्शन ऑफ एक्ट के तहत इसमें कौन-कौन से लोग शामिल हैं, उसकी जांच होनी चाहिए.

07 April, 2024

Electoral Bond : सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड का जब डेटा बाहर आया तो सुप्रीम कोर्ट के ही आदेश से आया. इसमें साफ हो गया है कि ज्यादातर बॉन्ड घूस के तौर पर दिए गए हैं. जिन कंपनियों ने पार्टियों के बॉन्ड खरीदें हैं, उनकी सरकारें सत्ता में थीं. उन्होंने कहा कि इसके बदले में उन सरकारों ने कंपनियों को तरह-तरह के बेनिफिट्स दिए और जरुरत पड़ने पर फेवर में पॉलिसी तक बदल दीं. कई कंपनियों के खिलाफ तो ईडी, सीबीआई या आयकर विभाग की कार्रवाई को रोक दिया.

एसआईटी के द्वारा स्वतंत्र जांच होनी चाहिए : प्रशांत भूषण

प्रशांत भूषण ने कहा कि चुनावी बॉन्ड तो पूरी तरह से घूसखोरी है. इसके साथ ही हमारे प्रिवंसन ऑफ करप्शन ऑफ एक्ट के तहत इसमें कौन-कौन से लोग शामिल हैं इसकी जांच होनी चाहिए. कुछ लोग कंपनी, कुछ पार्टी और कुछ लोग सरकार के शामिल थे. उन्होंने कहा कि कुछ ईडी-आईटी के ऑफिसर इसमें शामिल होंगे. इन सबकी जांच एक एसआईटी के द्वारा स्वतंत्र कमेटी के माध्यम से की जानी चाहिए.

5 साल पुराना रिकॉर्ड भी मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द कर दिया. सिर्फ इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा था पिछले 5 सालों के चंदे का हिसाब भी दिया जाए. अब EC को ये बताना अनिर्वाय होगा कि पिछले 5 साल में किस पार्टी को किसने कितना चंदा दिया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि वो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से पूरी जानकारी जुटाकर इसे अपनी वेबसाइट पर साझा करें. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि काले धन पर रोक लगाने के लिए सूचना के अधिकार का उल्लंघन सही नहीं है.

एसबीआई ने EC को दी पूरी जानकारी

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की सख्ती के बाद भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) ने 22 मार्च को चुनावी बॉन्ड से जुड़ा सारा डाटा उपलब्ध करा दिया था. इसके बाद से ही कोई भी शख्स चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर इससे संबंधित डाटा देख सकता है. वहीं सुरक्षा कारणों से कुछ जानकारी छिपाई गई हैं. इस मामले में एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया था. इसमें बैंक की तरफ से कहा गया कि उन्होंने अपनी तरफ से सारी जानकारी निर्वाचन आयोग को दे दी है, जैसे उन्होंने मांगी थी.

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