Home राज्यDelhi RML हॉस्पिटल में सुविधाओं को लेकर दिल्ली HC सख्त! दायर याचिका पर मांगा जवाब; जानें मामला

RML हॉस्पिटल में सुविधाओं को लेकर दिल्ली HC सख्त! दायर याचिका पर मांगा जवाब; जानें मामला

by Sachin Kumar
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RML Hospital : दिल्ली हाई कोर्ट NGO कुटुंब की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें केंद्र सरकार और RML अस्पताल के अधिकारियों से जरूरतमंदों मरीजों के लिए आवश्यक दवाओं की उपलब्धता की मांग की गई.

RML Hospital : दिल्ली के राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल में उचित चिकित्सा की सुविधाओं की अनुपलब्धता की एक याचिका हाई कोर्ट में दर्ज कराई गई. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने अधिकारियों से जवाब मांगा है. उच्च न्यायालय ने अस्पताल के चिकित्सक अधीक्षक को HIV जैसे घातक संक्रमणों का पता लगाने के लिए किए जाने वाले न्यूक्लिक एसिड परीक्षण (NAT) और अस्पताल में आवश्यक दवाओं की अनुपलब्धता से संबंधित याचिकाकर्ता की शिकायत पर एक हलफनामा दायर करने को कहा है. अदालत ने मामले की सुनवाई 17 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध की है.

दवाइयां नहीं की जा रही मुहैया

दिल्ली हाई कोर्ट गैर-सरकारी संगठन कुटुंब की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इस दौरान केंद्र सरकार और RML अस्पताल के अधिकारियों और अटल बिहारी वाजपेयी आयुर्विज्ञान संस्थान (ABVIMS) में जरूरतमंदों मरीजों के लिए आवश्यक दवाओं, जीवन रक्षक दवाओं और यहां तक कि सुरक्षित रक्त आधान सुविधाओं की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश देने की माँग की गई थी. याचिकाकर्ता संगठन का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह ने दावा किया कि मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, RML अस्पताल में NAT के बिना किया जा रहा है, जो एक महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रक्रिया है जिसे HIV और हेपेटाइटिस बी, सी जैसे घातक संक्रमणों को पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है.

सिर्फ किया जा रहा है सीरोलॉजी का उपयोग

दायर याचिका में कहा गया है कि अस्पताल में NAT मशीन ने कथित तौर पर नवंबर 2024 में काम करना बंद कर दिया था और तब से केवल नियमित सीरोलॉजी परीक्षण ही किए जा रहे हैं. इसमें वह पैसेंट भी शामिल हैं जिनमें थैलेसीमिया जैसे बार-बार रक्त आधान की जरूरत वाले मरीज शामिल हैं. इसमें कहा गया है कि आवश्यक दवाओं और आपूर्ति की अनुपलब्धता, तथा गरीब मरीजों को बाहर से अत्यधिक कीमतों में दवाएं खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है. सरकारी अस्पताल के मूल उद्देश्य को विफल करता है तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को स्वास्थ्य सेवा से वंचित करना है.

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