Home राज्यDelhi अदालत के आदेश की अनदेखी पर भड़का सुप्रीम कोर्ट, कहा- मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से होना होगा पेश

अदालत के आदेश की अनदेखी पर भड़का सुप्रीम कोर्ट, कहा- मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से होना होगा पेश

by Sanjay Kumar Srivastava
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Supreme Court

Supreme Court: न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने 22 अगस्त के आदेश का पालन न किए जाने पर नाराजगी व्यक्त की.

Supreme Court: अदालत के आदेश का पालन न करने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है. कोर्ट ने कहा कि मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से पेश होना होगा. उच्चतम न्यायालय ने आवारा कुत्तों के मामले में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को 3 नवंबर को कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने से छूट देने से शुक्रवार को इनकार कर दिया. शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को 3 नवंबर को अदालत में उपस्थित होकर यह बताने का निर्देश दिया है कि अदालत के 22 अगस्त के आदेश के बावजूद अनुपालन हलफनामे क्यों नहीं दाखिल किए गए. न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने 22 अगस्त के आदेश का पालन न किए जाने पर नाराजगी व्यक्त की और कहा कि 27 अक्टूबर तक पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को छोड़कर किसी भी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ने अनुपालन हलफनामा दाखिल नहीं किया.

एबीसी नियमों के बारे में पूछा

अदालत ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियमों के बारे में पूछा था. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले का उल्लेख किया और पीठ से आग्रह किया कि मुख्य सचिवों को 3 नवंबर को अदालत में वर्चुअली पेश होने की अनुमति दी जाए. न्यायमूर्ति नाथ ने कहा कि मुख्य सचिवों को अदालत में शारीरिक रूप से आना होगा. न्यायमूर्ति नाथ ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अदालत उन समस्याओं से निपटने में समय बर्बाद कर रही है, जिसे नगर निगमों, राज्य सरकारों द्वारा किया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि संसद ने नियम (एबीसी) बनाए हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. न्यायमूर्ति नाथ ने कहा कि जब हम चाहते हैं कि वे आएं और अनुपालन हलफनामा दाखिल करें, तो वे बस इस पर सो रहे हैं. अदालत के आदेश का कोई सम्मान नहीं. तो ठीक है, उन्हें आने दीजिए. हम उनसे निपट लेंगे.

राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को फटकार

पीठ ने स्पष्ट किया कि मुख्य सचिवों को अदालत में पेश होना होगा और यह बताना होगा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अनुपालन हलफनामा क्यों नहीं दाखिल किया गया. पीठ ने कहा कि जब 27 अक्टूबर को मामले की सुनवाई हुई थी, तो अनुपालन हलफनामे केवल पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और एमसीडी द्वारा दायर किए गए थे. 27 अक्टूबर को आवारा कुत्तों के मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने मुख्य सचिवों को 3 नवंबर को उसके समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया है ताकि यह बताया जा सके कि अदालत के 22 अगस्त के आदेश के बावजूद अनुपालन हलफनामे क्यों नहीं दायर किए गए. शीर्ष अदालत ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को फटकार लगाई थी, जिन्होंने आवारा कुत्तों के मामले में अपने अनुपालन हलफनामे दायर नहीं किए थे. 22 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय ने आवारा कुत्तों के मामले का दायरा दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सीमाओं से आगे बढ़ाते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस मामले में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था.

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