Kishtwar Cloudburst: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चिसोटी गांव में बादल फटने की इस त्रासदी ने दर्जनों लोगों की जान ले ली और पूरा गांव तबाह कर दिया. पढ़ें पूरी खबर.
Kishtwar Cloudburst: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चिसोटी गांव में आए भीषण बादल फटने की त्रासदी में अब तक कम से कम 60 लोगों की मौत हो चुकी है और 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार देर रात घटनास्थल का दौरा किया और कहा कि सरकार की पहली प्राथमिकता लापता लोगों को मलबे से बाहर निकालने की है.
“ऐसी आपदा पहले कभी नहीं देखी”-जितेंद्र सिंह
चिसोटी गांव में पत्रकारों से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, “इस पैमाने की आपदा कम-से-कम इस इलाके में पहले कभी देखने को नहीं मिली. प्राथमिकता लापता लोगों को मलबे से निकालने की है.” उन्होंने बताया कि कई लोग अब भी मलबे में दबे हुए हैं और मुश्किल हालातों के बावजूद राहत दल पूरी मेहनत से काम कर रहे हैं.
मौसम और भूभाग बने चुनौती, हेलीकॉप्टर नहीं पहुंच पाए
जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह आपदा प्राकृतिक विपदा के साथ-साथ मौसम और कठिन भूभाग की चुनौतियों से भी जुड़ी है. खराब मौसम के कारण राहत कार्य में लगे हेलीकॉप्टर किश्तवाड़ नहीं पहुंच सके और फिलहाल उधमपुर में इंतज़ार कर रहे हैं. इसके बावजूद एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना, वायुसेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने रातभर राहत उपकरण यहां पहुंचाकर राहत कार्य शुरू कर दिए.
बादल फटने से गांव और ढांचा पूरी तरह तबाह
14 अगस्त दोपहर करीब 12:25 बजे चिसोटी गांव में बादल फटने से आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई. अस्थायी बाज़ार, सामुदायिक रसोई, एक सुरक्षा चौकी समेत 16 घर, तीन मंदिर, सरकारी इमारतें और एक 30 मीटर का पुल पूरी तरह तबाह हो गया. दर्जनभर से अधिक वाहन भी बाढ़ में बह गए. यह गांव मचैल माता मंदिर जाने वाले मार्ग का अंतिम वाहन योग्य पड़ाव था.
मोदी सरकार ने दी प्राथमिकता
जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस आपदा को गंभीरता से लिया है और तुरंत उच्चस्तरीय बैठक की. उन्होंने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से भी बात की. सिंह ने कहा, “स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम खत्म होते ही मैं सबसे पहले यहां पहुंचा. आप समझ सकते हैं कि मोदी सरकार इस आपदा को कितनी प्राथमिकता और तात्कालिकता दे रही है.”
2014 के बाद बने ढांचे पलभर में बह गए
जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2014 से पहले इस इलाके में न सड़क कनेक्टिविटी थी, न बिजली, न मोबाइल टावर और न ही शौचालय जैसी सुविधाएं. बीते कुछ वर्षों में यह सब विकसित हुआ और मचैल माता की यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी. लेकिन यह पूरी व्यवस्था कुछ ही सेकंड में नष्ट हो गई. सरकार ने गंभीर रूप से घायल लोगों को बाहर के राज्यों में एयरलिफ्ट करने की सुविधा भी उपलब्ध कराने की पेशकश की है.
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने स्पष्ट किया कि सरकार की प्राथमिकता लापता लोगों की तलाश और घायलों की मदद है. मौसम और भूभाग की कठिनाइयों के बावजूद राहत दल लगातार काम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीधी निगरानी में राहत पैकेज और आगे की कार्रवाई पर विचार जारी है.
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