Punjab Flood: पंजाब में ब्यास और सतलुज की बाढ़ ने हालात कठिन बना दिए हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की तैयारी ने लोगों को राहत दी है. बोट एंबुलेंस से लेकर स्वास्थ्य शिविरों और अस्पतालों की तैयारियों तक, हर स्तर पर सरकार सक्रिय है.
Punjab Flood: बीते दिनों ब्यास और सतलुज नदी के उफान ने पंजाब के कई जिलों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा कर दी है. गांवों में पानी भरने से हालात गंभीर बने हुए हैं. इस चुनौतीपूर्ण परिस्थिति से निपटने के लिए पंजाब सरकार ने बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य सेवाओं को सक्रिय कर दिया है. स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने जानकारी दी कि 438 रैपिड रिस्पॉन्स टीमें, 323 मोबाइल मेडिकल टीमें और 172 एंबुलेंस मैदान में उतार दी गई हैं ताकि किसी भी जरूरतमंद तक समय पर इलाज पहुंच सके.
स्वास्थ्य सेवाओं की तैनाती और नई पहलें
कपूरथला, फिरोज़पुर, तरनतारन, होशियारपुर, गुरदासपुर और फाजिल्का जैसे जिलों में बाढ़ का पानी गांवों तक पहुंच गया है. खासकर गुरदासपुर में सात गांव पूरी तरह से कट गए हैं. ऐसी स्थिति में सरकार ने बोट एंबुलेंस की सुविधा शुरू की, जिसके जरिए आठ गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित बाहर निकाला गया और एक महिला ने डॉक्टरों की देखरेख में बच्चे को जन्म भी दिया. वहीं, कपूरथला और होशियारपुर में लगाए गए स्वास्थ्य शिविरों में अब तक 241 लोगों का इलाज हो चुका है, जिनमें दस्त, गैस्ट्रोएंटेराइटिस, बुखार, त्वचा संबंधी रोग और आंखों के संक्रमण जैसी बीमारियां शामिल हैं.
एपिडेमिक रोकथाम और जनता से अपील
बाढ़ के हालात में सबसे बड़ा खतरा जलजनित बीमारियों का होता है. मंत्री ने बताया कि 2000 से अधिक अस्पताल बेड तैयार रखे गए हैं और हर जिले में क्लोरीन टैबलेट, ओआरएस और जरूरी दवाइयों की कोई कमी नहीं है. अब तक केवल छिटपुट मामले सामने आए हैं, लेकिन सरकार सतर्क है. लोगों से अपील की गई है कि वे सिर्फ उबला या क्लोरीन मिला पानी ही पिएं, बासी खाना न खाएं और पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए स्वास्थ्य टीमों से संपर्क करें. इसके अलावा सरकार की टोल-फ्री हेल्पलाइन 104 पर स्वास्थ्य संबंधी किसी भी समस्या की सूचना दी जा सकती है.
सरकार और समाज का साझा प्रयास
स्वास्थ्य विभाग एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और विभिन्न एनजीओ के साथ मिलकर प्रभावित क्षेत्रों में लगातार राहत कार्य कर रहा है. इस बीच, आम आदमी पार्टी (आप) के प्रदेश अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने पार्टी कार्यकर्ताओं से बाढ़ग्रस्त इलाकों में सक्रिय रूप से मदद करने की अपील की. उन्होंने कहा कि “सिर्फ सरकार के प्रयासों से यह संकट खत्म नहीं होगा, हमें भी जमीनी स्तर पर उतरकर लोगों की मदद करनी होगी.” अरोड़ा ने भरोसा दिलाया कि सरकार और प्रशासन मिलकर हर जिले में जरूरी इंतजाम कर रहे हैं, ताकि किसी भी व्यक्ति को स्वास्थ्य सेवा और मूलभूत सुविधाओं की कमी न झेलनी पड़े.
वहीं, समाजिक संगठनों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से यह संदेश और भी मजबूत हुआ है कि मुश्किल घड़ी में जनता को अकेला नहीं छोड़ा जाएगा. यह आपदा केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि सामूहिक जिम्मेदारी का भी इम्तिहान है, जिसे मिलकर ही पार किया जा सकता है.
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