Home Top News उमंगोट नदी प्रदूषण मामला: NHIDCL पर 15 लाख का जुर्माना, नदी में फेंकी जा रही थी गंदगी

उमंगोट नदी प्रदूषण मामला: NHIDCL पर 15 लाख का जुर्माना, नदी में फेंकी जा रही थी गंदगी

by Sanjay Kumar Srivastava
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Umngot River

Umngot River: निर्माण कार्य के दौरान निकला मलबा और मिट्टी पश्चिम जयंतिया हिल्स जिले में उमंगोट नदी की सहायक नदियों में बहकर पहुंच रही थी.

Umngot River: मेघालय राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MSPCB) ने जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (JICA) द्वारा वित्तपोषित शिलांग-डॉकी सड़क परियोजना का निर्माण कर रही नेशनल हाईवेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHIDCL) पर 15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. अधिकारियों के अनुसार, निर्माण कार्य के दौरान निकला मलबा और मिट्टी पश्चिम जयंतिया हिल्स जिले में उमंगोट नदी की सहायक नदियों में बहकर पहुंच रही थी, जिससे नदी का पानी कीचड़युक्त हो गया. कभी अपने पारदर्शी जल के लिए प्रसिद्ध यह नदी डॉकी क्षेत्र का प्रमुख पर्यटन आकर्षण रही है. स्थानीय निवासियों और पर्यावरण समूहों की शिकायतों के बाद MSPCB की टीम ने पिछले सप्ताह स्थल निरीक्षण किया और पाया कि सड़क निर्माण से उत्पन्न अपशिष्ट सीधे नदी में डाला जा रहा था. बोर्ड ने NHIDCL को प्रदूषण रोकने और उचित अपशिष्ट प्रबंधन उपाय अपनाने के निर्देश भी दिए हैं.

15 दिन के अंदर जुर्माना भरने का निर्देश

MSPCB के अध्यक्ष आर नैनामालाई द्वारा जारी नोटिस में एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक (परियोजनाएं) को चार विशिष्ट स्थानों के लिए पर्यावरण मुआवजे के रूप में 15 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है. जहां खामियां दर्ज की गई थीं. एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कंपनी को सदस्य सचिव, एमएसपीसीबी, शिलांग को देय डिमांड ड्राफ्ट या बैंकर चेक के माध्यम से राशि भेजने के लिए 15 दिन का समय दिया है. उन्होंने कहा कि नोटिस में जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 33 ए, वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 31 ए और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत उल्लंघन का हवाला दिया गया है.

पर्यावरणविदों ने किया कार्रवाई का स्वागत

अधिकारियों ने कहा कि सड़क चौड़ीकरण कार्य, जो शिलांग-डॉकी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना का एक प्रमुख घटक है, के कारण नदी से सटे ढलानों पर खुदाई से निकली मिट्टी और निर्माण अपशिष्ट का अत्यधिक डंपिंग हो गया है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस तरह कंपनी की लापरवाही ने जल की गुणवत्ता और जलीय जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है. पर्यावरणविदों ने इस कार्रवाई का स्वागत किया है, लेकिन पुनरावृत्ति को रोकने के लिए मजबूत निगरानी तंत्र की मांग की है. अमलारेम के एक स्थानीय पर्यावरण अधिवक्ता ने कहा कि केवल जुर्माना पर्याप्त नहीं है. निरंतर साइट निरीक्षण और उचित निपटान प्रणाली सुनिश्चित की जानी चाहिए. एनएचआईडीसीएल द्वारा निर्मित शिलांग-डॉकी सड़क का उद्देश्य भारत-बांग्लादेश सीमा तक कनेक्टिविटी में सुधार करना है. हालांकि, निवासियों ने अनियमित मलबे के निपटान और अनियंत्रित अवसादन के कारण उमंगोट पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बार-बार चिंता जताई है.

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