अधिकारियों ने बताया कि घोटाले का पर्दाफाश संभल जिले के पंवासा ब्लॉक के अतरासी गांव में हुआ. इस मामले में 1.05 लाख रुपये की हेराफेरी पाई गई है. ग्राम प्रधान से वसूली की जा रही है.
Sambhal: यूपी के संभल जिले में अजब मामला सामने आया है. यहां मृतकों को ही मनरेगा मजदूर दिखाकर लाखों रुपए का घोटाला कर दिया गया. साथ ही कालेज के प्रिंसिपल को भी मनरेगा में मजदूर दिखाकर उनके नाम पर पैसा हड़प लिया गया. जैसे ही मामला जिलाधिकारी के संज्ञान में आया उन्होंने जांच के आदेश जारी कर दिए. यहां के एक गांव में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना के तहत कथित धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसमें एक दर्जन से अधिक लोगों को मजदूर दिखाया गया है और उनके नाम पर मजदूरी निकाली गई है.
संभल जिले के पंवासा ब्लॉक के अतरासी गांव में घोटाला
अधिकारियों ने बताया कि घोटाले का पर्दाफाश संभल जिले के पंवासा ब्लाक के अतरासी गांव में हुआ. मौजूदा ग्राम प्रधान पर आरोप है. जिला प्रशासन ने पुष्टि की है कि मामले की जांच चल रही है और ग्राम प्रधान से वसूली शुरू कर दी गई है. संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि यह मामला करीब सात महीने पहले मेरे संज्ञान में आया था. उस समय जांच के आदेश दिए गए थे. जब किसी मामले में गबन 10 फीसदी से कम होता है, तो हम संबंधित अधिकारी से वसूली करते हैं. इस मामले में 1.05 लाख रुपये की हेराफेरी पाई गई है. ग्राम प्रधान से वसूली की जा रही है.
करीब दर्जनभर मृत व्यक्तियों के नाम पर बने जॉब कार्ड
मुलायम सिंह यादव इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल ऋषिपाल सिंह ने कहा कि मेरी जानकारी के बिना मेरे नाम से जॉब कार्ड बना दिया गया. मैंने कभी मनरेगा में काम नहीं किया, फिर भी मेरा नाम रिकॉर्ड में दर्ज हो गया और पैसे निकाल लिए गए. मुझे पूछताछ के लिए भी बुलाया गया था. स्थानीय निवासी संजीव कुमार ने बताया कि मेरे दादा जगत सिंह का 2020 में निधन हो गया. हमें बिल्कुल भी पता नहीं था कि उनके नाम पर मजदूरी निकाली जा रही है. हमें तब पता चला जब अधिकारी जांच करने गांव आए.
गांव से बाहर रहने वाले लोगों के नाम पर निकाले गए पैसे
मामले में मुख्य शिकायतकर्ता निर्मल दास ने आरोप लगाया कि ग्राम प्रधान के मृत ससुर और उनके कई पारिवारिक सदस्यों के नाम पर भी जॉब कार्ड बनाए गए हैं. दास ने कहा कि फर्जी मजदूरों के नाम पर सरकारी कोष से पैसे निकाले गए. इनमें से कुछ लोग तो अब गांव में रहते ही नहीं हैं. फिर भी उनकी पहचान का इस्तेमाल कर पैसे निकाले गए. केंद्र सरकार की पहल, मनरेगा ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को साल में कम से कम 100 दिन का गारंटीकृत रोजगार प्रदान करती है. ऐसे परिवार जिनके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक कार्य करने के लिए स्वेच्छा से आगे आते हैं.
ये भी पढ़ेंः यात्री हो जाएं सावधान, ट्रेन में आपको एक्सपायर भोजन तो नहीं परोसा जा रहा, केरल में पकड़ा गया मामला