Anti-Conversion Law: राज्य में भूमि जिहाद के मुद्दे को सक्रिय रूप से उठाने वाले अजेंद्र ने कहा कि धर्मांतरण के खिलाफ एक नया सख्त कानून समय की मांग है.
Anti-Conversion Law: उत्तराखंड कैबिनेट ने धर्मांतरण विरोधी कानून में संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी, जिससे यह कानून और सख्त हो गया है. उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम में संशोधन के लिए एक और कानून लाने के लिए राज्य मंत्रिमंडल की मंजूरी से यह कानून और भी सख्त हो गया है. इसका उद्देश्य जबरदस्ती, धोखाधड़ी या अनुचित प्रभाव के माध्यम से धार्मिक रूपांतरणों को रोकना है. यह अधिनियम में संशोधन करने वाला दूसरा कानून है जो 2018 से उत्तराखंड में लागू है. पहला संशोधन 2022 में किया गया था जब पुष्कर सिंह धामी ने लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला था. राज्य मंत्रिमंडल द्वारा बुधवार को अनुमोदित दूसरे संशोधन कानून में जबरन धर्म परिवर्तन के लिए अधिकतम आजीवन कारावास और 10 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है. वर्तमान में उत्तराखंड में इस अपराध के लिए अधिकतम जेल की अवधि 10 साल और अधिकतम जुर्माना 50,000 रुपए है.
सख्त कानून समय की मांग
नए विधेयक में ऐसे अपराधों के लिए जेल की अवधि को 14 या 20 साल तक बढ़ाने का प्रस्ताव है और मामले की गंभीरता के आधार पर इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है. भाजपा नेता और बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि राज्य में जनसांख्यिकीय परिवर्तन के उद्देश्य से धर्मांतरण के हालिया मामलों को देखते हुए कानून को और भी सख्त बनाने के लिए एक और संशोधन विधेयक लाया गया है. कैबिनेट के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए उन्होंने कहा कि कड़े प्रावधानों वाला एक संशोधित अधिनियम संभावित अपराधियों के लिए एक मजबूत निवारक के रूप में काम करेगा. राज्य में भूमि जिहाद के मुद्दे को सक्रिय रूप से उठाने वाले अजेंद्र ने कहा कि धर्मांतरण के खिलाफ एक नया सख्त कानून समय की मांग है.
बिना वारंट हो सकती है गिरफ्तारी
उन्होंने कहा कि यह वर्तमान में धर्मांतरण को लेकर चलाए जा रहे “राष्ट्रव्यापी अभियान” का मुकाबला करने में मदद करेगा. उत्तराखंड में जनसांख्यिकीय परिवर्तन एक सर्वविदित तथ्य है. जनसांख्यिकीय परिवर्तन के कारण, देवभूमि के रूप में राज्य की मूल पहचान भी खतरे में है. चूंकि यह एक सीमावर्ती राज्य है, इसलिए उत्तराखंड में जनसांख्यिकीय परिवर्तन देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है. धर्मांतरण विरोधी कानून में कड़े प्रावधान करके राज्य सरकार ने एक कड़ा संदेश दिया है. उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) कानून, 2025 धोखाधड़ी या जबरन धर्म परिवर्तन को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाता है. ऐसे मामलों में पुलिस बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार कर सकती है और जमानत तभी दी जाएगी जब ट्रायल कोर्ट (सत्र न्यायालय) को यकीन हो जाए कि आरोपी दोषी नहीं है और अपराध को नहीं दोहराएगा.
भारी जुर्माने का भी प्रावधान
विधेयक में प्रलोभन की परिभाषा का भी विस्तार किया गया है और इसके दायरे में किसी भी तरह का उपहार, संतुष्टि, आसानी से मिलने वाला पैसा, नकद या वस्तु के रूप में भौतिक लाभ, रोजगार, मुफ्त शिक्षा, शादी का वादा, धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाना या किसी अन्य धर्म का महिमामंडन करना शामिल है, इन सभी को अपराध की श्रेणी में रखा गया है. यह सोशल मीडिया, मैसेजिंग ऐप या किसी भी ऑनलाइन माध्यम से धर्मांतरण को बढ़ावा देने या उकसाने जैसे कृत्यों को दंडनीय बनाता है. विधेयक में सामान्य उल्लंघन के लिए तीन से 10 साल की कैद, नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति या विकलांग या मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति के धर्मांतरण से संबंधित मामलों में पांच से 14 साल और गंभीर मामलों में 20 साल से आजीवन कारावास और भारी जुर्माने का प्रावधान है.
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