Bijli Mahadev: हिमाचल के कुल्लू जिले में स्थित प्रसिद्ध बिजली महादेव मंदिर को लेकर श्रद्धालुओं के लिए अहम खबर सामने आई है. भगवान शिव की देववाणी के आदेश के बाद मंदिर में प्रवेश, भंडारा और रात्रि प्रवास छह महीने तक प्रतिबंधित रहेगा.
Bijli Mahadev: खराहल घाटी की ऊंचाइयों पर स्थित बिजली महादेव मंदिर हर साल लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहता है. लेकिन इस बार भगवान शिव की ओर से आए विशेष देव आदेश ने यहां की गतिविधियों को पूरी तरह बदल दिया है. मंदिर के करदार विनेनंद्र ने बताया कि देववाणी के अनुसार भगवान महादेव ने इस स्थान पर शांति और तपस्या के लिए एकांत की आवश्यकता जताई है. इसी कारण अगले छह महीनों तक मंदिर परिसर में किसी भी धार्मिक आयोजन, भंडारे या रात्रि प्रवास की अनुमति नहीं दी जाएगी.
सावन में भी साधना होगी सीमित

सावन मास, जिसे शिवभक्तों के लिए विशेष आध्यात्मिक काल माना जाता है, इस बार बिजली महादेव मंदिर में पूरी तरह शांत और संयमित रहेगा. हर वर्ष यहां भजन-कीर्तन, भंडारे और विशेष आयोजन होते थे, लेकिन अब भक्त केवल मंदिर की सीढ़ियों से ही दूर से दर्शन कर पाएंगे. यह निर्णय किसी मानवीय संस्था का नहीं, बल्कि ईश्वरीय निर्देश का हिस्सा है, जिसे श्रद्धा से स्वीकार किया गया है.
क्या ये है प्रकृति के संकेत
मंदिर के आसपास के क्षेत्रों में हाल ही में भूगर्भीय बदलाव देखे गए हैं. पहाड़ों में आई दरारें और चट्टानों की तीक्ष्णता बढ़ने को कुछ लोग केवल भूगर्भीय घटना मान सकते हैं, लेकिन स्थानीय धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह प्रकृति और देवताओं की ओर से चेतावनी का संकेत है. वर्ष 2023 में भी इस क्षेत्र में वैज्ञानिकों ने भू-संरचना की समीक्षा की थी. अब वन विभाग को फिर से क्षेत्र की रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि भविष्य में संभावित आपदा से बचाव किया जा सके.
सीढ़ियों से होंगे दर्शन

मंदिर कमेटी ने स्पष्ट किया है कि किसी भी श्रद्धालु को मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा. भक्तों को केवल सीढ़ियों से ही दर्शन करने होंगे, वह भी एक निश्चित दूरी से. यह कोई प्रशासनिक आदेश नहीं, बल्कि स्वयं भगवान की इच्छा है, जिसे देववाणी के माध्यम से प्रकट किया गया है. ऐसे में भक्तों से अपील की गई है कि वे इसे आस्था और अनुशासन के साथ स्वीकार करें.
मंदिर समिति की श्रद्धालुओं से विशेष अपील
मंदिर प्रबंधन ने देशभर के भक्तों से निवेदन किया है कि वे इस विशेष अवधि को आत्मचिंतन और शिव से जुड़ने के एक अवसर के रूप में लें. देवताओं की इच्छा के अनुरूप संयम रखना और आंतरिक साधना करना ही इस समय का सबसे बड़ा तप होगा. समिति ने कहा है कि आने वाले समय में जब भगवान की इच्छा होगी, तब मंदिर फिर से पहले की तरह खुलेगा.
आस्था का नया अध्याय
बिजली महादेव मंदिर का यह निर्णय न केवल धार्मिक रूप से, बल्कि पर्यावरण और भू-प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी बेहद अहम है. यह एक याद दिलाने वाला संकेत है कि प्रकृति और ईश्वर, दोनों के संकेतों को समय रहते समझना और स्वीकार करना हमारी जिम्मेदारी है. यह बदलाव भले ही अस्थायी हो, लेकिन श्रद्धा की शक्ति को और मजबूत करने वाला है.
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