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Ayodhya की कहानी! जहां आस्था, राजनीति और इतिहास आज भी खड़े हैं आमने-सामने

by Preeti Pal
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Ayodhya की कहानी! बाबरी मस्जिद से राम मंदिर का सफर, जहां आस्था, राजनीति और इतिहास आज भी खड़े हैं आमने-सामने

Demolition of Babri Masjid:अयोध्या की सदियों पुरानी कहानी बताती है कि भारत में इतिहास सिर्फ बीता हुआ समय नहीं होता, बल्कि वो बार-बार नए रूप में सामने आता रहता है.

06 December, 2025

Demolition of Babri Masjid: अयोध्या की बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि का विवाद सिर्फ एक ऐतिहासिक बहस नहीं, बल्कि सदियों से चल रही आस्था, राजनीति, संघर्ष और अदालतों की सुनवाई का ऐसा सफर है जिसने भारत की सामाजिक पहचान पर गहरी छाप छोड़ी है. साल 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले और आज खड़े भव्य राम मंदिर ने इस लंबे चैप्टर को नया रूप दे दिया हो, लेकिन इसकी कहानी अभी भी लोगों के दिलों में ताज़ा है.

क्यों गूंजती रहती है कहानी?

6 दिसंबर, 1992 सिर्फ कैलेंडर की एक तारीख नहीं, बल्कि एक ऐसा दिन है जिसे देश ने अलग ही रूप में देखा. इसी दिन विवादित जगह पर बनी बाबरी मस्जिद ढह गई और इसके साथ ही देश कई दिनों तक दंगों, कर्फ्यू और तनाव से गुजरता रहा. उस दिन इससे हजारों लोग इफेक्ट हुए और समाज की कई परतें हिल गईं. दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के लिए ये सिर्फ राजनीति का मुद्दा नहीं था, बल्कि यादें, डर और टकराव का हिस्सा बन चुका था. हिंदू समुदाय के बड़े हिस्से के लिए ये जगह भगवान राम के जन्मस्थान का प्रतीक थी, वहीं मुस्लिम समुदाय के लिए ये उनका धार्मिक स्थल था.

कहानी की शुरुआत

साल 1528 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया. कई हिंदुओं का मानना है कि, यहां पहले एक बड़ा राम मंदिर था. ये बहस धीरे-धीरे बढ़ती गई और 19वीं सदी में अंग्रेजों ने इस जगह को दीवार से बांटकर मुसलमानों को अंदर नमाज़ पढ़ने और हिंदुओं को बाहर पूजा करने की व्यवस्था दे दी. फिर साल1949 में मंदिर के अंदर रामलला की मूर्तियां प्रकट हुईं और प्रशासन ने जगह को विवादित घोषित करके इस पर ताला लगा दिया. हिंदुओं को बाहरी हिस्से में पूजा की अनुमति मिलती रही, जिससे धीरे-धीरे लोग इस जगह से इमोशनली जुड़ने लगे.

1992 का वो दिन

6 दिसंबर, 1992 को लाखों कार सेवक अयोध्या में जमा हुए और दोपहर तक सदियों पुरानी मस्जिद ढह गई. इसके बाद देशभर में हिंसा, दंगे और सामाजिक दरारें देखने को मिलीं. ये घटना भारतीय राजनीति और समाज का ऐसा मोड़ थी जिसने पूरे देश की दिशा बदल दी. इस पर जांच चली और कई राजनीतिक नेताओं पर भड़काऊ भाषणों का आरोप लगा. हालांकि इतिहास आज भी इस पर बहस करता है कि ये सब एक सोचा-समझा प्लान था या फिर भीड़ का उफान. वहीं,

नए दौर की शुरुआत

करीब 70 साल चली कानूनी लड़ाई के बाद साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि विवादित जमीन पर राम मंदिर बनाया जाएगा. इसके अलावा मुस्लिम समुदाय को अयोध्या में 5 एकड़ जमीन मस्जिद के लिए दी जाएगी. फिर जनवरी 2024 में राम मंदिर का उद्घाटन हुआ और करोड़ों लोगों की सदियों पुरानी मांग पूरी हुई. आज ये मंदिर सिर्फ आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक माना जाता है.

यह भी पढ़ेंः बाबरी मस्जिद विध्वंस: 6 दिसंबर 1992…भीड़ व हिंसा का ऐसा दिन, जिसने पूरे भारत को हिला दिया

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