Kharmas Date and Niyam: खरमास में विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन और जनेऊ समेत सभी तरह के शुभ कार्य रुक जाते हैं. माना जाता है कि खरमास के दौरान कोई भी शुभ काम करने से उसका गलत प्रभाव पड़ता है.
7 December, 2025
Kharmas Date and Niyam: हिंदू पांचांग के अनुसार 10वां महीना पौष माह का होता है. इस महीने खरमास लग जाता है. खरमास का सनातन धर्म में खास महत्व है. यह साल में दो बार लगता है. एक बार जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं (मार्च से अप्रैल के बीच) और दूसरा जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करते हैं (दिसंबर से जनवरी के बीच). दूसरा खरमास 16 दिसंबर 2025 से लेकर 15 जनवरी, 2025 तक रहने वाला है. खरमास के दौरान विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन और जनेऊ समेत सभी तरह के शुभ कार्य रुक जाते हैं. आज हम आपको इसके पीछे का कारण बताएंगे कि खरमास में कोई शुभ काम क्यों नहीं किया जाता.

खरमास में नहीं होते ये शुभ काम
माना जाता है कि खरमास के दौरान कोई भी शुभ काम करने से उसका गलत प्रभाव पड़ता है. इस दौरान कोई भी शुभ काम नहीं किया जाएगा, जैसे शादी, उपनयन, दुरागमन, गृह प्रवेश, गृह प्रवेश वगैरह. लोग इस दौरान कोई भी शुभ काम करने से बचते हैं और इन दिनों के खत्म होने का इंतज़ार करते हैं. इसके बाद फिर से शादी, मुंडन जैसे मांगलिक काम शुरू हो जाएंगे.
शुभ काम क्यों नहीं किए जाते?
शास्त्रों के अनुसार, खरमास के दौरान सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं. इस दौरान सूर्य की ऊर्जा और चमक कम हो जाती है, जिससे शुभ कामों का असर कम हो जाता है. इसी वजह से शास्त्रों में इस समय को अशुभ बताया गया है. खरमास के दौरान देवी-देवताओं की पूजा, जप, धार्मिक अनुष्ठान और दान-पुण्य का खास महत्व होता है, इसलिए लोगों को यह करना चाहिए, लेकिन शादी, गृहप्रवेश, व्यापार शुरू करना और गाड़ी या प्रॉपर्टी खरीदना जैसे काम वर्जित होते हैं.
खरमास में सूर्यदेव को दे अर्घ्य

- खरमास में सूर्यदेव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है. आप रोज सुबह स्नान करके तांबे के लोटे में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल फूल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें और “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें. इस अनुष्ठान से बीमारियां खत्म होती हैं और मान-सम्मान बढ़ता है.
- अमावस्या, संक्रांति, पूर्णिमा और एकादशी पर पितरों का श्राद्ध, तर्पण और दान करना शुभ माना जाता है. इससे पितरों का श्राप दूर होता है और जीवन की परेशानियां कम होती हैं.
- खरमास महीने में पूरे दिन भगवान विष्णु की पूजा करें और मंदिरों में दान करें. इससे भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी दोनों का आशीर्वाद मिलता है.
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