Home Religious साल की आखिरी एकादशी है बेहद खास, व्रत करने से मिलेगा संतान सुख, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

साल की आखिरी एकादशी है बेहद खास, व्रत करने से मिलेगा संतान सुख, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

by Neha Singh
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Paush Putrada Ekadashi 2025 (1)

Paush Putrada Ekadashi 2025: यहां आपको पौष पुत्रदा एकादशी के शुभ मुहूर्त और पूजा विधी के बारे में बताया गया है.

24 December, 2025

Paush Putrada Ekadashi 2025: एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. एकादशी पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. साल में कुल 12 एकादशी पड़ती हैं. एकादशी के दिन व्रत करने से विष्णु और लक्ष्मी की कृपा होती है. इस साल की आखिरी एकादशी में 30 दिसंबर को है, जो बहुत खास है. इस एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी भी कहा जाता है. जैसा कि नाम से ही पता चलता है, यह एकादशी व्रत संतान सुख के लिए किया जाता है. इस दिन व्रती महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छी सेहत और सुरक्षा के लिए व्रत रखती हैं.

पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व

पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान की लंबी उम्र, सुरक्षा, सफलता, खुशी और समृद्धि के लिए रखा जाता है. यह व्रत रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं. निःसंतान दंपत्ति भी संतान प्राप्ति की उम्मीद में यह व्रत रखती हैं. कई लोग जानकारी ने होने के कारण व्रत को सही तरीके से नहीं करते. यहां आपको पौष पुत्रदा एकादशी के शुभ मुहूर्त और पूजा विधी के बारे में बताया गया है.

पौष पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त

पौष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी 30 दिसंबर को सुबह 7 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी. वहीं अगले दिन 31 दिसंबर को सुबह 05 बजे एकादशी समाप्त हो जाएगी. पौष पुत्रदा एकादशी के दिन रवि योग बन रहा है, जो सुबह 7:13 बजे से 31 दिसंबर को सुबह 4:58 बजे तक रहेगा. इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:03 बजे से दोपहर 12:44 बजे तक रहेगा. इसी तरह, पौष पुत्रदा एकादशी का पारण करने का समय 31 दिसंबर को दोपहर 1 बजकर 29 मिनट से 3 बजकर 33 मिनट तक रहेगा.

व्रत की पूजा विधि

पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत करने के लिए व्रती को सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनने चाहिए. इसके बाद पूजा स्थल का साफ करना चाहिए. अपने मन में व्रत का संकल्प करें. भगवान विष्णु की तस्वीर या प्रतिमा को हल्दी, चंदन या केसर का तिलक लगाएं. भगवान को फल और फूल अर्पित करें. अगरबत्ती और दीपक जलाएं. एकादशी व्रत के दौरान भगवान विष्णु की कथा पढ़ना और सुनना बहुत ज़रूरी है, इसलिए पूरी श्रद्धा से एकादशी व्रत की कथा पढ़ें. पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती करें और प्रसाद (पवित्र भोजन) चढ़ाएं. इस दिन जरूरतमंद को अन्न और पीले वस्त्रों का दान करें. एकादशी व्रत में अनाज नहीं खाया जाता, इसलिए सिर्फ फल खाएं. अगले दिन शुभ समय पर व्रत का पारण करें.

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