Home Religious सिर्फ फैशन नहीं है लड़कों का कान छिदवाना, साइंस और शास्त्र में छिपे हैं इसके फायदे

सिर्फ फैशन नहीं है लड़कों का कान छिदवाना, साइंस और शास्त्र में छिपे हैं इसके फायदे

by Live Times
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Boys Piercing Significance

Boys Piercing Significance: आपने कई लड़कों के कान छिदे हुए देखे होंगे. आजकल लड़के इसे फैशन मानते हैं, लेकिन कान छिदवाने के पीछे एक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक कारण भी है.

14 November, 2025

Boys Piercing Significance: आपने कई लड़कों के कान छिदे हुए देखे होंगे. आजकल लड़के इसे फैशन में करवाते हैं, लेकिन कान छिदवाने के पीछे एक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक कारण भी है. आपने भगवान राम और कृष्ण की तस्वीरों में भी उन्हें कुंडल पहने देखा होगा. यानी कान छिदवाना आज का फैशन नहीं बल्कि एक परंपरा भी है. सनातन धर्म बच्चे के जन्म से लेकर मृत्यु तक 16 संस्कार किए जाते हैं. सभी संस्कारों में अलग-अलग प्रकार की रस्में होती हैं, जिसका आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण भी है. कान छिदवाना भी 16 संस्कारों में से एक है, जिसे कर्णवेध संस्कार कहा जाता है. चलिए जानते हैं लड़कों के कान छिदवाने के पीछे का कारण.

आध्यात्मिक कारण

सभी लड़कियां अपने दोनों कान छिदवाती हैं और लड़के अपने दाहिना कान छिदवाते हैं. काने छिदवाने के बहुत से फायदे हैं. अगर इसके आध्यात्मिक फायदों की बात करें तो इससे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है. मानव शरीर में कई ऊर्जा केंद्र (चक्र) माने जाते हैं. कान के पास एक बिंदु मानसिक शांति और आध्यात्मिक जागृति से जुड़ा माना जाता है. कान छिदवाने से इस बिंदु की सक्रियता बढ़ जाती है. कई जगहों पर, बच्चों के कानों में हल्के सोने की बालियां पहनाने से उन्हें बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है. हिंदू धर्म में, इसे कर्ण छेदन संस्कार कहा जाता है. यह बच्चे के विकास और जीवन में सकारात्मक शुरुआत का प्रतीक है.

वैज्ञानिक कारण

कान छिदवाना सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि इसका कारण साइंस में भी छुपा है. कान में एक विशिष्ट बिंदु होता है जो मस्तिष्क से जुड़ा माना जाता है. कान छिदवाने से इस बिंदु पर हल्का दबाव पड़ता है, जिससे एकाग्रता, सीखने की क्षमता और सोचने की शक्ति में सुधार होता है. यह एक्यूपंक्चर और एक्यूप्रेशर के सिद्धांतों पर आधारित है. वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि कान के किसी बिंदु को दबाने से आंखों की नसों से जुड़ाव होता है. इसलिए, पहले यह माना जाता था कि इससे दृष्टि दोष कम होता है. कान के लोब पर दबाव डालने से कुछ लोगों में सिरदर्द, माइग्रेन और कान-नाक की समस्याएं कम हो जाती हैं.

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