Home Religious एकादशी पर चावल खाया तो लगेगा मांस खाने जितना पाप! जानें क्या कहती है साइंस और पौराणिक कथा

एकादशी पर चावल खाया तो लगेगा मांस खाने जितना पाप! जानें क्या कहती है साइंस और पौराणिक कथा

by Live Times
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Ekadashi Katha

Ekadashi Katha: माना जाता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से मांस खाने जितना पाप लगता है. आज हम आपको इसके पीछे की पौराणिक कथा और साइंस के बारे में बताएंगे.

13 November, 2025

Ekadashi Katha: सनातन धर्म में एकादशी का बहुत बड़ा महत्व है. मान्यता है कि एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है और इस दिन व्रत रखने से घर में सुख-शांति आती है. हर महीने की शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की तिथि को एकादशी व्रत रखा जाता है. यानी साल में कुल 24 एकादशी व्रत रखे जाते हैं. इस महीने में 15 तारीख को उत्पन्ना एकादशी पड़ रही है. आपने अपने घर में बड़े-बुजुर्गों को कहते सुना होगा कि एकादशी के दिन हमें चावल नहीं खाने चाहिए. माना जाता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से मांस खाने जितना पाप लगता है. आज हम आपको इसके पीछे की पौराणिक कथा और साइंस के बारे में बताएंगे.

पौराणिक कारण

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में महर्षि मेधा ने यज्ञ करवाया. उस यज्ञ में एक भिक्षुक भी आया था. महर्षि ने उस भिक्षू को अपमानित किया. इससे माता दुर्गा महर्षि मेधा से क्रोधित हो गईं. माता को मनाने के लिए और क्रोध से बचने के लिए उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया. शरीर त्यागने के बाद उनके शरीर के अंश धरती में समा गए. महर्षि मेधा के प्रायश्चित से प्रसन्न होकर माता ने आशीर्वाद दिया कि उनके अंश अन्न के रूप में धरती से उगेंगे. इसके बाद उनके अंश से धरती पर चावल और जौ उगे. इसी कारण चावल और जौ को जीव माना जाता है. माना जाता है कि उस दिन तिथि भी एकादशी ही थी. इसलिए एकादशी के दिन चावल और जौ खाना वर्जित है. एकादशी के दिन चावल खाने वाले को मांस खाने जितना पाप लगता है, क्योंकि इसकी उत्पत्ति महर्षि मेधा के शरीर से हुई है.

वैज्ञानिक कारण

वैज्ञानिक प्रमाणों के अनुसार, चावल में जल की मात्रा अधिक होती है. जल पर चंद्रमा का भी ज्यादा प्रभाव होता है. चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे मन अशांत और बेचैन हो सकता है. मन अशांत होने पर व्रत के नियमों का पालन नहीं हो पाता, इसलिए एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित है.

ऐसे करें एकादशी व्रत

एकादशी व्रत करने के लिए आप सुबह जल्दी उठकर गंगाजल से स्नान करें. भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें. तुलसी के पत्ते और पुष्प अर्पित करें और भगवान को सात्विक भोजन का भोग लगाएं. पूरे दिन भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत के नियमों के अनुसार फल या केवल जल ग्रहण करें. यदि आप निर्जल व्रत नहीं रख सकते हैं तो फल या जल ग्रहण कर सकते हैं.

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