Jammu-Kashmir News : जम्मू-कश्मीर में काउंटर इंटेलिजेंस कश्मीर ने आतंकी को धर दबोचने के लिए एक अभियान चलाया. इस दौरान 7 जिलों में 12 संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया.
Jammu-Kashmir News : जम्मू-कश्मीर पुलिस की काउंटर इंटेलिजेंस विंग ने आतंकवाद से जुड़े एक नेटवर्क को धर दबोच लिया. विंग ने मंगलवार की सुबह घाटी की कई जगहों पर छापेमारी की और सामाजिक कार्यकर्ताओं के भेष में छिपे देश विरोधी तत्वों के एक नेटवर्क का भंडाफोड़ कर दिया. इंटेलिजेंस विंग ने 7 जिलों में ये ऑपरेशन चलाया और 12 संदिग्धों को गिरफ्तार कर लिया. साथ ही अधिकारियों ने बताया कि काउंटर इंटेलिजेंस कश्मीर (CIK) ने कश्मीर घाटी में एक साथ कई जिलों में ऑपरेशन चलाया, जिससे सामाजिक बदलाव की आवाज बनकर छिपे हुए आतंकी-समर्थक इकोसिस्टम का पर्दाफाश हुआ.
ऐसे मिली ऑपरेशन चलाने की मंजूरी
अधिकारियों ने बताया कि ये तलाशी CIK श्रीनगर पुलिस स्टेशन में IPC और गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत साल 2023 में दर्ज एक मामले के सिलसिले में की गई थी. अधिकारियों ने बताया कि इस कार्रवाई की मंजूरी श्रीनगर की एक स्पेशल कोर्ट द्वारा जारी सर्च वारंट के बाद मिली, जिसके NIA एक्ट के तहत बनाया गया है. उन्होंने बताया कि यह मामला खुफिया एजेंसी की तरफ से मिली सूचना से जुड़ा है, जिससे पता चला कि मानवाधिकार की वकालत, पर्यावरण के मुद्दों और महिला सशक्तिकरण से जुड़े प्लटफॉर्म पर देश की संप्रभुता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने के लिए प्लान कर रहे थे.
सामाजिक कार्यों का लिया साथ
जांच में पता चला कि इनमें से कुछ कथित तौर पर एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन एप्लिकेशन का इस्तेमाल करके पाकिस्तान में बैठे आतंकी हैंडलर के संपर्क में थे. उन्होंने कहा कि इनपुट पर कार्रवाई करते हुए श्रीनगर, बारामूला, अनंतनाग, पुलवामा, कुपवाड़ा, बडगाम और शोपियां में 12 जगहों की पहचान करने के बाद तलाशी अभियान शुरू किया गया. ऑपरेशन के दौरान पूछताछ के लिए 12 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया. अधिकारियों ने बताया कि आपत्तिजनक डिजिटल सामग्री का एक बड़ा जखीरा जब्त किया गया, जिसमें करीब 10 मोबाइल, एक लैपटॉप और 14 सिम कार्ड को जब्त किया गया है. अब पुलिस ने इन सबको को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है. अधिकारी ने बताया कि ऑपरेशन आतंकी नेटवर्क तो दबोचने के लिए शुरू किया गया था, जिसको सफलतापूर्वक खत्म कर दिया है, जो आतंकी एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए सामाजिक कामों की विश्वसनीयता का फायदा उठाना चाहता था.
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