MDM: बाल रोग विशेषज्ञों की एक टीम ने पत्र लिखकर महाराष्ट्र सरकार से मिड डे मील में चीनी युक्त खाद्य पदार्थ देना बंद करने का आग्रह किया है.
19 August, 2024
MDM: बाल रोग विशेषज्ञों की एक टीम ने महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) को सरकारी स्कूलों में मिलने वाली मिड डे मील (MDM) को लेकर एक पत्र लिखा है. अपने पत्र में मध्याह्न भोजन में चीनी युक्त खाद्य पदार्थ देना बंद करने का आग्रह किया है. टीम ने राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर (Deepak Kesarkar) को पत्र लिखकर कहा है कि ऐसे खाद्य पदार्थों के कारण बच्चे मधुमेह (Diabetes) और मोटापे के शिकार हो सकते हैं. पत्र में कहा गया है कि मध्याह्न भोजन के तहत बच्चों को सप्ताह में 4 बार चावल का हलवा परोसने के सरकारी जीआर का हवाला दिया गया है.
भोजन में इतनी मात्रा में मिलाई जाए चीनी
बाल रोग विशेषज्ञों की एक टीम ने अपने पत्र में कहा है कि सरकारी स्कूलों में बनने वाले कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के भोजन में 25 ग्राम ही चीनी मिलाई जाए. वहीं, कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों के भोजन में 45 ग्राम चीनी मिलाई जाए. महा पीडियाट्रिक्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ रामगोपाल चेजारा ने कहा कि हमें प्रतिदिन 25 ग्राम चीनी की आवश्यकता होती है. चीनी दो प्रकार की होती है. एक मिलाई जाती है और दूसरी खाने वाली चीजों में मौजूद होती है. छात्र दिन भर कुछ न कुछ खाते रहते हैं, जिससे उनके शरीर के अंदर चीनी की मात्रा बढ़ जाती है.
अंबादास दानवे ने की सरकार की आलोचना
शिवसेना (यूबीटी) के नेता अंबादास दानवे ने भी इस जीआर को लेकर राज्य सरकार की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सोचती है कि भावी पीढ़ी अतिरिक्त चीनी को पचाने वाली फैक्ट्री है. एक तरफ केंद्र सरकार इथेनॉल उत्पादन पर प्रतिबंध लगा रही है वहीं दूसरी तरफ स्कूली बच्चों को अतिरिक्त मात्रा में चीनी दी जा रही है.
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