Trump Tariff : डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में वापिस आने के बाद से ही वह एग्रेशिव मोड में काम कर रहे हैं. उन्होंने दुनिया भर के देशों पर टैरिफ बढ़ाने का एलान किया था और इसी कड़ी में अमेरिका का पिछलग्गू यूरोप को भी नहीं बख्शा.
Trump Tariff : अमेरिकी सत्ता पर काबिज होने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने दुनिया भर के देशों पर टैरिफ लगा दिया. इसी बीच कई देशों ने ट्रंप प्रशासन से बातचीत करने की कोशिश की लेकिन चीन ने अमेरिका पर उल्टा टैरिफ लगा दिया और यही वजह रही कि दोनों देशों के बीच में टैरिफ वार छिड़ गया. एक तरफ जहां अमेरिका ने 145 प्रतिशत तक टैरिफ बढ़ा दिया जबकि चीन ने भी बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया. वहीं, अमेरिका ने सभी देशों पर 90 दिनों के लिए टैरिफ वार को रोक दिया. इसी बीच यूरोपीय अर्थव्यवस्था पर ट्रंप टैरिफ का बुरा असर पड़ने वाला है. भले ही स्थिति थोड़ी स्थिर रहे. दूसरी तरफ ट्रंप ने दुनिया भर के देशों को बातचीत के मेज पर लाने के लिए मजबूर कर दिया.
यूरोपीय मुद्रा का उपयोग करते हैं 20 देश
यूरोपीय संघ के कार्यकारी आयोग ने सोमवार को अपने नियमित वसंत पूर्वानुमानों में कहा कि यूरोपीय मुद्रा का उपयोग करने वाले 20 देश हैं. इस दौरान पूर्वनुमान लगाया गया है कि 1.3 प्रतिशत तक विकास दर रहेगी लेकिन अब इसे घटाकर 0.9 प्रतिशत कर दिया गया है. दूसरी तरफ वर्ष 2026 के लिए पूर्वानुमान 1.6 प्रतिशत से घटाकर 1.4 प्रतिशत कर दिया गया है. वहीं, कम विकास का अनुमान इसलिए लगाया गया है क्योंकि जर्मनी में स्थिर अर्थव्यवस्था थी जहां पर दो वर्षों में उत्पादन की कमी होने की वजह से विकास शून्य रहने की उम्मीद है. बता दें कि जर्मनी की अर्थव्यवस्था निर्यात पर बहुत ज्यादा निर्भर है, लेकिन यूक्रेन पर आक्रमण की वजह से रूसी प्राकृतिक गैस के नुकसान के बाद ऊर्जा की उच्च लागत देने पड़ रही है.
ऑटो और मशीन में मिली चीन से चुनौती
इसके अलावा जर्मनी सरकार ने बुनियादी ढांचे में खर्ची कमी की है. साथ ही ऑटो और औद्योगिक मशीन में चीन से अच्छी-खासी चुनौती मिल रही है. अर्थव्यवस्था आयुक्त वाल्डिस डोम्ब्रोव्स्की ने कहा कि यूरोप से आयातित वस्तुओं पर 20 फीसदी टैरिफ के प्रस्ताव के अलावा इसे 90 दिनों के लिए निलंबित करने से अनिश्चितता पैदा हुई है. अर्थव्यवस्था को झटका तब भी नहीं लगा था जब कोविड-19 के दौरान भी नहीं देखा गया था. उन्होंने यह भी कहा कि यूरोपीय अर्थव्यवस्था लचीली बनी हुई है और नौकरियों का बाजार फिलहाल के लिए मजबूत बना हुआ है. आयोग ने भी माना है कि अगले साल बेरोजगारी में रिकॉर्ड 5.7 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया है.
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