Home राजनीति Katchatheevu Island Controversy: 300 साल बाद क्यों चर्चा में कच्चाथीवू द्वीप, जानिए इसका हिंदू राजा से कनेक्शन

Katchatheevu Island Controversy: 300 साल बाद क्यों चर्चा में कच्चाथीवू द्वीप, जानिए इसका हिंदू राजा से कनेक्शन

by Live Times
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kachchatheevu

01 April, 2024

Katchatheevu Island Controversy: 17वीं सदी में मदुरई के रामनाथपुरम के राजा के अधीन रहने वाला कच्चाथीवू द्वीप 21वीं सदी में अचानक चर्चा में है. 285 एकड़ में बसा ये द्वीप भारत और श्रीलंका के बीच सैकड़ों वर्षों तक विवाद का कारण रहा. ताजा मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 31 मार्च को मेरठ में आयोजित चुनावी रैली में इस मुद्दे का जिक्र किया. उन्होंने कच्चाथीवू द्वीप को लेकर कांग्रेस और I.N.I.D.A. गठबंधन पर निशाना साथा. पीएम ने कहा कि कांग्रेस ने अपने शासनकाल के दौरान इस द्वीप को लेकर समझौता कर लिया. अब इस पर चर्चा गर्म है.

क्या है कच्चाथीवू द्वीप?

यहां पर हम बता रहे हैं कि आखिर ये कच्चाथीवू द्वीप है क्या? दरअसल कच्चाथीवू द्वीप भारत और श्रीलंका के बीच करीब 285 एकड़ में फैला एक आईलैंड (Island) है. इसकी लंबाई 1.6 किलोमीटर और चौड़ाई करीब 300 मीटर है. आए दिन यहां ज्वालामुखी विस्फोट होते हैं, जिस कारण यहां लोग नहीं रह पाते. कुल मिलाकर इस द्वीप जीवनयापन संभव नहीं है. आजादी से पहले की करें तो कच्चाथीवू द्वीप भारत के पास था और श्रीलंका इस पर अपना दावा करता रहता था. इस द्वीप को लेकर भारत और श्रीलंका में हमेशा विवाद रहता था. वर्ष 1974 में इस विवाद को कम करने के लिए भारत और श्रीलंका के बीच कोलंबो और नई दिल्ली में बैठकें हुईं. इन बैठकों में भारत ने इस द्वीप को अपना बताने के सारे सबूत दिए. साथ ही भारत ने कहा कि यह रामनाथपुरम के राजा के अधिकार में था, लेकिन ये मामला सुलझने के बजाय उलझता चला गया.

क्यों पीएम ने कच्चाथीवू द्वीप का किया ज्रिक ?

तमिलनाडु भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के. अन्नामलाई (K. Annamalai) की एक आरटीआई (RTI) के जरिये इस पूरे मामले को लेकर सामने आए, जिस पर राजनीतिक जारी है. आरटीआई के आधार पर उन्होंने बताया कि वर्ष 1974 में इंदिरा गांधी सरकार ने इस द्वीप को पड़ोसी देश को कैसे सौंपा था? लेकिन जब इस मुद्दे का जिक्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया तब से यह मामला चर्चा में है. दरअसल, 31 मार्च को उत्तर प्रदेश के मेरठ में आयोजित रैली में पीएम ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए यह भी कहा था कि भारत की एकता और अखंडता को कमजोर करना ही कांग्रेस का 75 साल से काम करने का तरीका रहा है. साथ ही पीएम मोदी ने कुछ रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि एक सर्वे में इस द्वीप को श्रीलंका का भाग भी बताया गया है. इसे कई बार चुनौती मिली और साल 1974 तक इस विवाद को सुलझाया नहीं जा सका और अब कच्चाथीवू द्वीप को लेकर पीएम ने कांग्रेस पर निशाना साधा है.

मासूम मछुआरों को होती है दिक्कत

कच्चाथीवू द्वीप के मुद्दे पर पीएम मोदी ने कांग्रेस को देश की का विभाजन करने वाली पार्टी बताया. दरअसल, वर्ष 1974 में इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं. उस दौरान इंदिरा गांधी ने कई बार श्रीलंका के साथ कच्चाथीवू द्वीप के विवाद को सुलझाने की कोशिश की. भाजपा के मुताबिक, इंदिरा गांधी ने कच्चाथीवू द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया. इसके पीछे इंदिरा गांधी का भारत और श्रीलंका के रिश्ते को मजबूत करना था. साल 1983 से लेकर 2009 तक कच्चाथीवू द्वीप का विवाद चलता रहा. इस बीच श्रीलंका में गृहयुद्ध शुरू हो गया. कुछ समय तक श्रीलंकाई सेना और लिट्टे के बीच युद्ध जारी रहा. इसके बाद से भारतीय मछुआरों पर लगातार कार्रवाई होने लगी. साथ ही इस द्वीप पर आज भी जब मछुआरे मछली पकड़ने जाते हैं तो श्रीलंकाई सेना के जरिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है.

कच्चाथीवू द्वीप को लेकर एक ओर राजनीति जारी है तो दूसरी ओर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी इस बात को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इसमें जयशंकर ने कहा कि श्रीलंका और तमिलनाडु के बीच एक आईलैंड है. इसे लोग अलग-अलग नामों से पुकारते हैं, लेकिन इसका असल नाम है- कच्चाथीवू द्वीप.

यह भी पढ़ें: ताज़ा पॉलिटिक्स अपडेट्स हिंदी, एक्सक्लूसिव रिपोर्ट्स, राजनीति से जुड़ी हर बड़ी खबर

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