केरल तट के पास कैल्शियम कार्बाइड से भरे 12 कंटेनर्स एक लाइबेरियाई जहाज से नीचे गिर गए हैं. इसके बाद ही समुद्री जीवों और इंसानों पर बड़ा खतरा मंडराने लगा है.
Kerala Coast on Alert: एक पूरा रूम कच्चे आम या केलों से भरा है…आप जल्दी में हैं कि बस किसी तरह कमरे में रखे आम और केले पक जाएं…नेचुरल प्रोसेस से तो भले ही इसमें काफी टाइम लग जाए लेकिन एक तरीका जरूर है जो कारगर साबित हो सकता है. जी हां आपने बिल्कुल सही सुना. एक पूरे रूम के कच्चे केलों और आमों को सिर्फ कैल्शियम कार्बाइड का एक टुकड़ा पका सकता है. कैल्शियम कार्बाइड बेहद घातक केमिकल कंपाउंड है जिसका नाम आपने साइंस की क्लास में जरूर सुना होगा…
कैल्शियम कार्बाइड की मदद से पकाए गए फलों को डॉक्टर सेहत के लिए हानिकारक मानते हैं लेकिन कैसा होगा अगर हम आपसे कहें कि केरल तट के पास 12 कंटेनर्स में भरा बेहद खतरनाक कैल्शियम कार्बाइड फैल चुका है… जिसने भी ये तबाही की खबर सुनी, उनके होश फाख्ता हो गए. दरअसल, 25 मई को केरल तट पर एक लाइबेरियाई जहाज डूब जाता है और इस जहाज के 640 कंटेनर्स किसी बॉल की तरह एक के बाद पानी में गिरते जाते हैं. इन 640 कंटेनर्स में भी अलग-अलग केमिकल्स और तेल ही मौजूद थे लेकिन इनमें से 12 बड़े कंटेनरों में बेहद खतरनाक और जानलेवा केमिकल कंपाउंड कैल्शियम कार्बाइड भरा हुआ था.
इन 640 कंटेनर्स के डूबने से बवाल क्यों मचा है…लोग डर के साए में क्यों जीने को विवश हैं…सरकार ने लोगों को क्या चेतावनी दी है और इस घटना के क्या गंभीर परिणाम हो सकते हैं…आज के इस खास एपिसोड में हम इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे.
तो चलिए सबसे पहले बात करते हैं कि आखिर ये घटना कैसे हुई?
बीती 24 मई की दोपहर करीब 1 बजकर 25 मिनट पर लाइबेरियाई जहाज कोच्चि तट से तकरीबन 38 समुद्री मील यानी कि लगभग 70 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में अरब सागर की लहरों के बीच था…इसी दौरान इस बेहद विशाल जहाज का स्टारबोर्ड मतलब दायां हिस्सा डगमगाने लगा और करीब 26 डिग्री तक झुक गया. जहाज में हुए असंतुलन के बाद कैप्टन इवानोव एलेक्जेंडर काफी डर गए. मुसीबत की स्थिति में कैप्टन ने तुरंत इंडियन कोस्ट गार्ड को जहाज की स्थिति की सूचना दी. सूचना पाते ही इंडियन कोस्ट गार्ड ने बिना देरी किए एक डोर्नियर रवाना कर दिया ताकि लाइबेरियाई जहाज का हवा से निगरानी की जा सके. इसके साथ ही इंडियन कोस्ट गार्ड ने एमवी हान ई और MSC Silver 2 को भी मदद और बचाव के लिए भेजा. दिन ढलता जा रहा था और मुसीबत हर गुजरते पल के साथ और भी ज्यादा बढ़ती जा रही थी. शाम तक इंडियन कोस्ट गार्ड्स 24 क्रू मेंबर्स में से 21 लोगों को सुरक्षित बचाने में सफल हुए. जहाज से बाकी क्रू मेंबर्स तो बचा लिए गए लेकिन तीन अन्य लोग जिसमें कैप्टन, चीफ इंजीनियर और सेकेंड इंजीनियर जहाज पर ही मौजूद रहे. तीनों भरसक प्रयास करते रहे कि किसी भी तरह बस जहाज को डूबने से बचा लिया जाए लेकिन वो नाकाम साबित हुए और 25 मई की सुबह करीब सात बजकर 50 मिनट पर जहाज पूरा डूब गया. गनीमत ये रही कि अन्य तीन लोग भी सुरक्षित बचा लिए गए लेकिन जहाज पर मौजूद कंटेनर्स बह गए.
जहाज के डूबने की वजहें तलाशी जा रही हैं लेकिन इसपर केरल के पोर्ट मिनिस्टर वीएन वासवन का बयान भी बेहद जरूरी हो जाता है. वीएन वासवन ने कहा- जहाज के डूबने की वजहें अभी तक नहीं पता चल सकी हैं लेकिन आशंका जताई जा रही है कि तेज हवाओं, लहरों या लोडिंग की दिक्कतों की वजह से ये बड़ा हादसा हुआ है.
इंडियन कोस्ट गार्ड्स ने भी जहाज के डूबने की वजहें जहाज में पानी भरने को बताया है. इंडियन कोस्ट गार्ड्स ने कहा कि 25 मई को जहाज के होल्ड में तेजी से पानी भर रहा था और उसी वजह से वो पलटकर डूब गया. ये तो हुई आधिकारिक बयानों की बात लेकिन सोशल मीडिया समेत लोगों के बीच भी कई आशंकाएं लगातार उठ रही हैं.
समुद्र में डूबे इन 640 कंटेनरों में क्या था और उनका क्या हुआ, भारत के रक्षा मंत्रालय ने इसपर अपनी चुप्पी तोड़ी है. 25 मई को ही रक्षा मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर दिया कि इस शिप में 640 कंटेनर्स थे, इनमें से 13 कंटेनर्स में खतरनाक केमिकल्स थे और 12 कंटेनरों में कैल्शियम कार्बाइड भरा हुआ था यानी कि वही जहरीला केमिकल कंपाउंड जिसने एक नया संकट खड़ा कर दिया है. रक्षा मंत्रालय की मानें तो जहाज के टैंकों में 84.44 मीट्रिक टन डीजल और 367.1 मीट्रिक टन फर्नेस ऑयल भी था. अब इतना डीजल और फर्नेस ऑयल पानी में मौजूद है.
अब एक नजर इस पर डालते हैं कि क्या होता है कैल्शिम कार्बाइड और कंटेनरों में मौजूद तीन खतरनाक केमिकल्स कितने घातक साबित हो सकते हैं.
- ब्लैक और ग्रे कलर का ठोस पदार्थ कैल्शिम कार्बाइड एक केमिकल कंपाउंड है जिसका इस्तेमाल इंडस्ट्रियल फार्म से एसिटलीन गैस बनाने, स्टील बनाने और फल पकाने के लिए होता है. पानी के साथ मिलकर कैल्शिम कार्बाइड , एसिटलीन गैस और कैल्शियम हाइड्रक्साइड पैदा करता है. एसिटलीन गैस बेहद ज्वलनशील होती है जो तुरंत आग पकड़ सकती है. इस गैस में विस्फोट का खतरा भी लगातार बना रहता है. एसिटलीन गैस बारूद का वो ढेर है जिसे एक छोटी सी चिंगारी भी भड़का सकती है और समुद्र में विस्फोट हो सकता है. खतरा ये है कि अगर समुद्र के पानी से कैल्शिम कार्बाइड मिला तो काफी तेजी से एसिटलीन गैस बनेगी. हवा में जमकर भी ये बड़े विस्फोट का कारण बन सकता है. कैल्शिम कार्बाइड से समुद्र के इकोसिस्टम पर भी खतरा मंडरा रहा है जिससे मछलियों, कोरल और पानी में रहने वाले बाकी जीवों के खत्म होने की भी आशंका जताई जाने लगी हैं. डर तो इससे बढ़ रहा है कि 12 कंटेनर्स में कैल्शिम कार्बाइड मिला हुआ है. जरा सोचिए कि जिस कैल्शिम कार्बाइड एक टुकड़ा भी सैंकड़ों दर्जनों फलों को पका सकने का माद्दा रखता हो तो भला कई हजार टन कैल्शिम कार्बाइड कितनी तबाही मचा सकता है.
- रक्षा मंत्रालय की मानें तो जहाज के टैंकों में 84.44 मीट्रिक टन डीजल यानी कि मरीन गैस ऑयल भी मौजूद था. मरीन गैस ऑयल हाइड्रोकार्बन से बनता है जिसमें एल्केन और एरोमैटिक कंपाउंड्स भी मौजूद होते हैं. अगर ये पानी पर गिरता है तो ये सतह पर तैरता रहता है जिससे ऑक्सीजन का लेवल लगातार घटता रहता है. ऑक्सीजन घटने से समुद्री जीवन के खत्म होने का खतरा मंडरा रहा है.ये काफी लंबे समय तक समुद्र में मौजूद रहता है और तटीय इलाकों में भी जम जाता है.
- तीसरा खतरनाक केमिकल है फर्नेस ऑयल जिसका इस्तेमाल जहाजों के इंजन को चलाने में होता है. शिप में 367.1 मीट्रिक टन फर्नेस ऑयल मौजूद होने की बात कही गई है जो भीषण खतरे की तरफ इशारा कर रहा है. वैसे तो फर्नेस ऑयल पानी में आसानी से मिक्स नहीं होता लेकिन इसके समुद्री सतह पर जमा होने से काफी पॉल्यूशन होता है. ये प्रदूषण समुद्री जीवों के साथ ही इंसानों और पर्यावरण के लिए भी जानलेवा है. ये तो हुई उन तीन केमिकल्स की बात जिनका खुलासा हुआ है, माना जा रहा है कि कई अन्य घातक और जानलेवा केमिकल्स भी इस जहाज में मौजूद थे. हालांकि, इनकी जानकारी नहीं मिल सकी है.
अगर जहाज का तेल समुद्र के पानी में मिल गया तो इसके क्या गंभीर परिणाम होंगे, चलिए एक नजर इस पर भी डालते हैं कि आखिर इंसानों के लिए ये स्थिति कितनी गंभीर है-
- समुद्री जीवों की मौत का डर सताने लगा है. डॉल्फिन, व्हेल, ऑक्टोपस और कछुओं समेत अन्य समुद्री जीव अगर तेल के कॉन्टैक्ट में आते हैं तो वो बीमार हो सकते हैं. तेल की वजह से उनकी स्किन, गलफड़ों और इंटरनल ऑर्गन्स को भी खासा नुकसान पहुंच सकता है. इसके अलावा अगर बगुले समेत अन्य पक्षी भी तेल के टच में आए तो उनके पंखों और स्किन को भारी नुकसान पहुंच सकता है.
- समुद्र की गहराई वाली कोरल रीफ्स की प्रजनन क्षमता भी रुकने का खतरा मंडरा रहा है.
- न सिर्फ समुद्री जीव और पक्षी बल्कि इंसानों पर भी की हेल्थ और कमाई पर भी इस घटना का असर पड़ने की बात कही जा रही है. मछली पालन, बोटिंग और टूरिज्म के बिजनेस को बड़ा नुकसान पहुंच सकता है. समुद्र से तेल निकालने के लिए भी करोड़ों डॉलर खर्च करने पड़ सकते हैं.
- अगर कोई इंसान तेल मिले हुए पानी में नहा ले तो उसकी स्किन पर इसका दुष्प्रभाव साफतौर पर देखने को मिल सकता है. अगर कोई पॉल्यूटेड फिश खाले तो उसे सांस और पेट संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. सरकार ने पहले ही लोगों से समुद्र तट से 200 मीटर दूर रहने का निर्देश दे दिया है यानी कि उनके कारोबार पर अभी से ही इसका असर देखने को मिल रहा है. उम्मीद है कि इस घटना के दुष्परिणाम ज्यादा गंभीर न हों और जल्दी ही इस पर काबू पा लिया जाए. 640 कंटेनर्स समुद्र में डूबने पर क्या है आपकी राय और आप इस घटना पर क्या सोचते हैं, हमें कमेंट्स बॉक्स में जरूर बताएं.
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