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Nawada Lok Sabha Seat: बिहार की नवादा लोकसभा सीट की खास बातें, कांग्रेस और बीजेपी का रहा दबदबा

by Rashmi Rani
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बिहार की नवादा लोकसभा सीट की खास बातें, कांग्रेस और बीजेपी का रहा दबदबा

Nawada Lok Sabha Seat : नवादा लोकसभा सीट के चुनावी इतिहास की अगर बात करें तो यहां 1952 से लेकर अब तक कांग्रेस और बीजेपी का दबदबा देखने को मिला है. 1952 से लेकर 1962 लगातार कांग्रेस को ही जीत मिली.

07 April, 2024

Nawada Lok Sabha Seat : देश में लोकसभा चुनाव का आगाज हो चुका है. कुछ ही दिनों में पहले चरण का चुनाव शुरू हो जाएगा. इसी कड़ी में हम आज बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से एक सीट नवादा की बात करेगें. 2019 के चुनाव में यहां से जन शक्ति पार्टी ने जीत हासिल की थी. लोजपा के चंदन सिंह को 495684 वोट मिले थे. इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी का ही दबदबा देखने को मिला है.

जानें चुनावी इतिहास

नवादा लोकसभा सीट के चुनावी इतिहास की अगर बात करें तो कांग्रेस और बीजेपी का यहां दबदबा है. 1952 से लेकर 1962 लगातार कांग्रेस को ही जीत मिली. इसके बाद 1967 में निर्दलीय प्रत्याशी सूर्य प्रकाश पुरी मैदान में उतरे और कांग्रेस को हराकर जीत अपने नाम की. हालांकि 1971 में कांग्रेस ने फिर से वापसी कर ली. कांग्रेस के प्रत्याशी सुखदेव प्रसाद वर्मा ने जीत अपने नाम की थी. इसके बाद 1977 में भारतीय लोक दल के नथुनी राम ने कांग्रेस को फिर हार का स्वाद चखाया, लेकिन 1980 में कांग्रेस ने फिर चुनाव जीत लिया. 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को ही जीत मिली. 1989 के चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने अपना खाता खोला और जीत हासिल की. 1991 में भी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को ही जीत मिली.

बीजेपी को पहली बार मिली जीत

साल 1996 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी को इस सीट से जीत मिली. कामेश्वर पासवान बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ कर सांसद बने थे. हालांकि, बीजेपी की यह खुशी ज्यादा दिन नहीं रह पायी और 1998 में हुए चुनाव में आरजेडी प्रत्याशी मालती देवी ने जीत अपने नाम कर ली, लेकिन 1999 में फिर से चुनाव हुआ और बीजेपी के डॉ. संजय पासवान ने जीत हासिल की. 2004 के चुनाव में RJD ने फिर से वापसी की. 2009 और 2014 के चुनाव में बीजेपी को जीत मिली. 2019 के चुनाव में एनडीए ने यह सीट लोक जनशक्ति पार्टी को दे दी. चंदन सिंह को लोजपा ने टिकट दिया था जिन्होंने जीत अपने नाम किया था.

2019 के चुनाव का परिणाम

2019 के चुनाव की अगर बात करें तो लोजपा के चंदन सिंह ने 495684 वोट लाकर जीत अपने नाम की थी. दूसरे नंबर पर RJD प्रत्याशी विभा देवी थीं, जिन्हें 347612 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर निर्दलीय उम्मीदवार राजेश कुमार थे, जिन्हें 14934 वोट मिले थे. बहुजन समाज पार्टी ने भी अपनी किस्मत आजमायी थी . बसपा प्रत्याशी विष्णु देव यादव चौथे नंबर पर रहे थे. जिन्हें 11403 वोट मिले थे. 2019 में नवादा सीट से 13 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे थे.

नवादा संसदीय सीट के दायरे में छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं

नवादा
हिसुआ
वारिसलीगंज
गोविंदपुर
रजौली
बरबीघा

मतदाताओं की संख्या

नवादा में मतदाताओं की संख्या 22 लाख 67 हजार 604 है. इनमें पुरुष मतदाता की संख्या 1180395 और महिला मतदाता की संख्या 1087058 है. थर्ड जेंडर मतदाता कुल 151 हैं. इस बार नवादा में 45 फीसदी से अधिक युवा मतदाता हैं. 20 से 29 साल के युवा मतदाता की संख्या 345192 हैं तो 30 से 39 वर्ष के युवाओं की संख्या 25.35 प्रतिशत हैं. 26 जनवरी 1973 को मगध प्रमंडल के गया जिले से अलग होकर नवादा एक स्वतंत्र जिला बना था.

नवादा की खास बातें

नवादा अनेक ऐतिहासिक धरोहरों को समेटे हुए है. खुरी नदी के उत्तर में जो आबादी बसी है उसे प्राचीन काल में’नव आबाद’ कहा जाता था. जिसे बाद में नवादा के रूप में जाना जाने लगा. साल 1845 में नवादा गया जिला का सबडिविजन था. नवादा को कभी एलियट मार्केट बाजार के नाम से भी जाना जाता था. यहां कई पर्यटन स्थल भी हैं जिसे देखने दूर दूर से लोग आते हैं. ककोलत जलप्रपात, प्रजातंत्र द्वार, नारद संग्रहालय, सेखोदेवरा और गुनियाजी तीर्थ जैसे कई पर्यटन स्थल नवादा में हैं. प्राचीन काल में नवादा शक्तिशाली मगध साम्राज्य का अंग था. महाभारत से भी नवादा का नाता है, कहा जाता है कि महाभारत कालीन राजा जरासंध के शासन का यह हिस्सा था.

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