19 साल बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया. बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा .
Mumbai: महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि राज्य सरकार 7/11 मुंबई ट्रेन विस्फोट में सभी 12 आरोपियों को बरी करने के बॉम्बे उच्च न्यायालय के आदेश का अध्ययन करेगी. इसके बाद सरकार यह तय करेगी कि इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जाए या नहीं. इन विस्फोटों में 180 से अधिक लोग मारे गए थे. मालूम हो कि पश्चिमी लाइन पर विभिन्न स्थानों पर मुंबई लोकल ट्रेनों में 11 जुलाई, 2006 को 7 विस्फोट हुए थे, जिसमें 180 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और कई अन्य घायल हुए थे. 19 साल बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया. बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा और यह विश्वास करना कठिन है कि उन्होंने अपराध किया.
फैसला देखने के बाद SC का रुख करेगी सरकार
न्यायमूर्ति श्याम चांडक और अनिल किलोर की विशेष पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष विस्फोट में इस्तेमाल किए गए बमों के प्रकार को रिकॉर्ड में लाने में भी असफल रहा है और जिन सबूतों पर उसने भरोसा किया है, वे आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए निर्णायक नहीं हैं. पत्रकारों से बात करते हुए बावनकुले ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार सभी आरोपियों को बरी करने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने का फैसला करने से पहले मामले के गुण-दोष का आकलन करेगी. इससे पहले हम फ़ैसले के गुण-दोष और बरी होने के कारणों जैसे पहलुओं पर चर्चा करेंगे. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी इस पर विचार करेंगे. कहा कि राज्य सरकार आकलन के बाद ही सर्वोच्च न्यायालय का रुख करेगी.
फैसला दुर्भाग्यपूर्णः संजय निरुपम
भारतीय जनता पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के पूर्व अध्यक्ष बावनकुले ने कहा कि अगर राज्य के पास कोई अतिरिक्त जानकारी है, तो मुख्यमंत्री फडणवीस उसे विस्तार से प्रस्तुत करेंगे. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के पूर्व लोकसभा सांसद संजय निरुपम ने फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि इसलिए सवाल उठता है कि विस्फोटों की साजिश किसने रची. उन्होंने आगे कहा कि यह देखना होगा कि क्या जांच एजेंसियों के काम में कोई कमी थी. महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने मामले की जांच की थी. मंत्री और राकांपा नेता छगन भुजबल ने कहा कि राज्य सरकार फैसले का अध्ययन करेगी और अगर जरूरत महसूस हुई तो वह सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकती है. 2015 में एक विशेष अदालत ने इस मामले में 12 लोगों को दोषी ठहराया था, जिनमें से पांच को मौत की सजा और बाकी सात को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. अपील की सुनवाई के दौरान एक दोषी की मौत हो गई.
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