Maharashtra Politics : महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार बवाल हो गया है. महायुति सरकार में शिवसेना और BJP के मंत्री और राज्य मंत्री में भिड़ंत हो गई है. दोनों नेताओं के बीच में अधिकारों के बंटवारे को लेकर पत्र युद्ध चल रहा है.
Maharashtra Politics : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने रविवार को अपने मंत्रियों से पत्र युद्ध से दूर रहने और किसी भी कठिनाई की स्थिति में उनसे संपर्क करने को बोला है. उनकी यह टिप्पणी उस वक्त आई है जब शिवसेना के सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट (Sanjay Shirsat) की तरफ से BJP की राज्य मंत्री माधुरी मिसाल (Madhuri Misal) द्वारा उन्हें सूचित किए बिना विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक करने पर आपत्ति जताए जाने के बाद आई है. सीएम फडणवीस ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि किसी को भी यह पत्र युद्ध नहीं करना चाहिए और किसी मुद्दे पर मतभेद होने पर आपस में बैठकर बातचीत करनी चाहिए. साथ ही बातचीत के बाद उन्हें मुझे आकर बताना चाहिए, ताकि मुश्किल समय में हम उसका समाधान निकाल सकें.
शिरसाट और मिसाल के बीच छिड़ी जंग
आपको बताते चलें कि मंत्री और राज्य मंत्री एक ही सरकार का हिस्सा होते हैं. ज्यादातर शक्तियां मंत्री के पास होती है और मंत्री जो भी शक्तियां राज्य मंत्रियों को देते हैं, वे राज्य मंत्रियों की होती है. साथ ही इसके बारे में किसी प्रकार का भ्रम नहीं है. उन्होंने कहा कि यह मानना गलत है कि राज्य मंत्री के पास बैठक आयोजित करने का अधिकार नहीं है, लेकिन अगर बैठकों में नीतिगत फैसले लिए जाते हैं तो ऐसे फैसले मंत्री से सलाह लिए बिना नहीं लिए जा सकते हैं. अगर फैसला ले भी लिया जाता है तो उस पर मंत्री की मुहर लगना अनिवार्य है. आपको बताते चलें कि शिरसाट और मिसाल के बीच जमीनी जंग छिड़ी हुई है. मिसाल की तरफ से एक बैठक आयोजित करने के बाद शिरसाट ने उन्हें पत्र लिखकर कहा कि उनके पास बैठक करने और विभाग के स्तर पर फैसला लेने का अधिकार नहीं है.
अधिकारों का होना चाहिए बंटवारा
वहीं, मिसाल ने जवाब में लिखा कि वह अपने अधिकारों के दायरे में रहकर ही अपने काम कर रहे हैं. इसके बाद मिसाल ने CMO से एक कनिष्ठ मंत्री के रूप में उन्हें दी गई शक्तियों पर स्पष्टीकरण भी मांगा. राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा था कि मुख्यमंत्री कैबिनेट मंत्रियों और उनके कनिष्ठ मंत्रियों के बीच उनके संबंधित विभागों में अधिकारों के बंटवारे को लेकर चर्चा करेंगे. दूसरी तरफ मिसल को लिखे पत्र में शिरासट ने कहा कि उनके विभाग में बैठकें आयोजित करने से पहले उन्हें उनकी अनुमति लेनी होगी. साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वह विभाग के अधिकारियों को निर्देश देकर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा रही है. शिरसाट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अब सारी बैठकें उन्हें बुलानी पड़ेंगी. इसी बीच मिसाल ने भी बेबाक जवाब देते हुए कहा कि राज्य मंत्री होने के नाते किसी मीटिंग को आयोजित का उनके भी अधिकार क्षेत्र में आता है. साथ ही उन्होंने कहा कि मीटिंग के दौरान उन्होंने कोई भी निर्देश नहीं दिया था, लेकिन उनके संज्ञान में कोई मामला लाया जाता है तो वह आदेश जारी कर सकती थीं.
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