Global Politics : अमरिकी राष्ट्रपति के बयान से सत्तापक्ष ही नहीं बल्कि विपक्ष के कई नेता भी नाराज हैं और वह इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. ट्रंप के बयान पर पूर्व वाणिज्य मंत्री ने कहा कि यह अपमानजनक और अस्वीकार्य है.
Global Politics : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के बयान पर देश की सियासत में उबाल आ रहा है और इसको लेकर कांग्रेस के नेता लगातार टिप्पणियां कर रहे हैं. शशि थरूर के बाद कांग्रेस नेता और पूर्व वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने सोमवार को जोर देकर कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की भारत और उसकी इकॉनोमी पर की गई टिप्पणियां अपमानजनक और अस्वीकार्य है. आनंद शर्मा ने आगे कहा कि भारत को हर कीमत पर अपनी सम्प्रभुता और राष्ट्रीय हितों को बनाए रखना चाहिए और अमेरिका के साथ किसी भी समझौते पर संसद के साथ-साथ सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को विश्वास में लिया जाना चाहिए.
विश्व व्यवस्था में मची उथल पुथल
पूर्व वाणिज्य मंत्री ने केंद्र से आग्रह किया कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति की धमकी भरी रणनीति के आगे न झुके और एक अपर्याप्त व्यापार समझौते पर किसी कीमत पर साइन न करे. उन्होंने आगे कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयानों और कार्यों से विश्व व्यवस्था में उथल-पुथल मचा दी है और इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ जिस तरह का व्यवधान अब पड़ा है. उन्होंने यह बिल्कुल स्पष्ट रूप से कहा कि उनकी टिप्पणियां अपमानजनक और अस्वीकार्य है. भारतीय अर्थव्यवस्था पर ट्रंप की टिप्पणी को दोहराते हुए राहुल गांधी ने पिछले हफ्ते कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को छोड़कर सभी जानते हैं कि देश अर्थव्यवस्था मृत है.
भारत को दूसरे विकल्प की तलाश करनी चाहिए
आनंद शर्मा ने अपने बयान में कहा कि भारत ने इतिहास में दबावों और खतरों का डटकर सामना किया है और इस दौरान मजबूती से उभरा भी है. साथ ही राष्ट्रपति ट्रंप यह गलतफहमी में हैं कि भारत के पास विकल्प नहीं है. उन्होंने कहा कि चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते भारत में समानता और पारस्परिक सम्मान के सिद्धांतों पर दुनिया के साथ जुड़ने की क्षमता है. वहीं, ब्रिटेन के साथ एक मजबूत आर्थिक और व्यापारिक समझौते हुए हैं, जिसका स्वागत किया जाना चाहिए. भारत को यूरोपीय संघ व्यापार समझौते को प्राथमिकता देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत को व्यापारिक समझौते मजबूत करने के लिए अफ्रीकी संघ, आसियान, खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) और LAC के साथ जुड़ना चाहिए.
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