Opposition leaders remember Satyapal Malik: सत्यपाल मलिक का जाना भारतीय राजनीति के उस स्वर को मौन कर गया है, जो बिना भय के सत्ता से सवाल करने का साहस रखता था.
Opposition leaders remember Satyapal Malik: पूर्व जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का 79 वर्ष की उम्र में दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में निधन हो गया है. लंबे समय से बीमार चल रहे मलिक न सिर्फ एक अनुभवी राजनेता थे, बल्कि वे उन विरले चेहरों में शामिल रहे, जिन्होंने सत्ता के सामने डटकर सच बोलने का साहस दिखाया. उनके निधन पर पूरे विपक्ष ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें “सत्ता के सामने आईना दिखाने वाला नेता” बताया.
खड़गे को याद आए मलिक
पूर्व राज्यपाल व किसान हितैषी नेता, श्री सत्यपाल मलिक जी के निधन का समाचार बेहद दुखद है।
— Mallikarjun Kharge (@kharge) August 5, 2025
वे बेबाक़ी और निडरता से सत्ता को सच्चाई का आईना दिखाते रहे।
शोकाकुल परिवारजनों और समर्थकों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। pic.twitter.com/U6PbzwUYN4
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मलिक को याद करते हुए उन्हें “किसान-मित्र नेता” बताया और कहा कि वे हमेशा सत्ता में बैठे लोगों को बेखौफ सच का आईना दिखाते रहे. उन्होंने शोक संदेश में मलिक के परिजनों और समर्थकों के प्रति गहरी संवेदना जताई.
राहुल गांधी ने जताया शोक
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक जी के निधन की ख़बर सुनकर बेहद दुख हुआ।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 5, 2025
मैं उन्हें हमेशा एक ऐसे इंसान के रूप में याद करूंगा, जो आख़िरी वक्त तक बिना डरे सच बोलते रहे और जनता के हितों की बात करते रहे।
मैं उनके परिवारजनों, समर्थकों और शुभचिंतकों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। pic.twitter.com/raENEwDCjK
लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने भी मलिक के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें एक ऐसा व्यक्ति बताया जो अंतिम क्षण तक सत्य की बात करता रहा. उन्होंने कहा, “मैं उन्हें एक ऐसे शख्स के रूप में याद रखूंगा, जिन्होंने निडर होकर हमेशा जनता के हित में अपनी बात रखी.”
ममता बनर्जी ने भी दी श्रद्धांजलि
Saddened by the demise of Satya Pal Malik ji, former Governor of Jammu and Kashmir, who became famous in Indian politics by uttering some truths, which few dare to do.
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) August 5, 2025
My condolences to his family, friends and followers.
Satya Pal ji spoke bravely in support of Indian farmers'…
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लिखा कि मलिक ने कुछ ऐसे सच बोलकर देश की राजनीति में विशेष स्थान पाया, जिन्हें बोलने का साहस कम ही लोग कर पाते हैं. उन्होंने मलिक के किसान आंदोलन और पुलवामा हमले को लेकर लिए गए स्पष्ट रुख की सराहना करते हुए उन्हें सलाम किया.
दीपेन्दर हुड्डा ने भी मलिक को किया याद
किसान हितों के प्रबल पैरोकार और जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक जी के निधन का समाचार दुःखद है। आज पूरे देश में भारी शोक है।
— Deepender Singh Hooda (@DeependerSHooda) August 5, 2025
सत्यपाल मलिक जी का एक लंबा संघर्षशील जीवन रहा। उन्होंने छात्र राजनीति से अपनी शुरुआत की और देश के तमाम संवैधानिक पदों पर रहकर सांसद के रूप में,… pic.twitter.com/35Co24USDB
कांग्रेस सांसद दीपेन्दर हुड्डा ने कहा कि सत्यपाल मलिक का निधन सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश ही नहीं, पूरे देश के लिए अपूरणीय क्षति है. उन्होंने कहा कि मलिक ने छात्र राजनीति से शुरुआत कर मजदूरों और किसानों की आवाज़ को लगातार मंच दिया.
इमरान मसूद से थे पारिवारिक रिश्ते
हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ की हृदयविदारक घटना अत्यंत पीड़ादायक है।
— Imran Masood (@ImranMasood_) July 27, 2025
इस हादसे में दिवंगत श्रद्धालुओं के परिजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएँ
ईश्वर से प्रार्थना है कि वह दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करे और घायलों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ दे।#श्रद्धांजलि
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने मलिक के निधन को व्यक्तिगत क्षति बताया. उन्होंने कहा, “हमारे पारिवारिक रिश्ते थे. एक मजबूत किसान नेता का यूं जाना बेहद दुखद है.”
मलिक का राजनीतिक सफर
सत्यपाल मलिक ने न केवल लोकसभा और राज्यसभा में सांसद के रूप में सेवाएं दीं, बल्कि गोवा, बिहार, ओडिशा, मेघालय और अंत में जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्यों के राज्यपाल भी रहे. खासतौर पर जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में उन्होंने पुलवामा हमले और अनुच्छेद 370 से जुड़े मामलों पर अपनी स्पष्ट और साहसी टिप्पणियों से सुर्खियां बटोरीं.
सत्यपाल मलिक का जाना भारतीय राजनीति के उस स्वर को मौन कर गया है, जो बिना भय के सत्ता से सवाल करने का साहस रखता था. चाहे किसानों के हक की बात हो या देश की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे, उन्होंने हमेशा सच्चाई को प्राथमिकता दी. उनके जाने से भारतीय लोकतंत्र ने एक स्वतंत्र विचारधारा वाले निर्भीक नेता को खो दिया है, जिसकी भरपाई आसान नहीं होगी.
यह भी पढ़ें:हवाई सुरक्षा पर उठे सवाल! इस साल अब तक छह इंजन शटडाउन और तीन ‘मेडे कॉल’ की घटनाएं
