Bihar Election 2025 : बिहार चुनाव ऐसा लग रहा है कि विपक्ष और चुनाव आयोग आमने-सामने आ गया है. एक तरफ जहां विपक्ष चुनाव चोरी करने का आरोप लगा रहा है तो वहीं इलेक्शन कमीशन ने कहा है कि उसके लिए सभी राजनीतिक दल समान हैं.
Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है और इसको लेकर विपक्ष लगातार सत्तारूढ़ के साथ चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगा रहा है. विपक्ष का कहना है कि बीजेपी इलेक्शन कमीशन के साथ मिलकर चुनाव चोरी करने में लगी हुई है. इसी बीच मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार (Gyanesh Kumar) ने प्रेस क्रॉन्फ्रेंस करके इसका जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि कानून के मुताबिक हर एक राजनीतिक दल का जन्म चुनाव आयोग में पंजीकरण से होता है, ऐसे में इलेक्शन कमीशन पॉलिटिकल पार्टियों में मतभेद कैसे कर सकता है. ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट रूप से कहा कि चुनाव आयोग के लिए कोई पक्ष या विपक्ष नहीं होता है, सभी उसके लिए बराबर होती है.
दस्तावेज राष्ट्रीय स्तर के नेताओं तक नहीं पहुंचे
ज्ञानेश कुमार ने बीते दो दशकों से लगभग सभी राजनीतिक दल वोटर लिस्ट में सुधार की मांग कर रहे हैं और इसके लिए चुनाव आयोग ने बिहार से विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की शुरुआत की. मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि SIR की प्रक्रिया में सभी वोटर्स बूथ स्तर के अधिकारियों और सभी राजनीतिक दलों द्वारा नामित 1.6 लाख बीएलए ने मिलकर एक सूची तैयार की है. उन्होंने आगे कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों और उनके द्वारा नामित BLA के सत्यापित दस्तावेज और टेस्टेमोनियल या तो उनके अपने राज्य या राष्ट्रीय स्तर के नेताओं तक नहीं पहुंच रहे हैं या फिर जमीनी हकीकत को नजरअंदाज करके भ्रम पैदा करने की कोशिश की जा रही है.
वोटर की जानकारी पब्लिक डोमेन में नहीं आ सकती
मुख्य चुनाव आयुक्त ने आगे कहा कि हमने देखा कि कई वोटर्स की तस्वीरें उनकी बिना अनुमति के मीडिया के सामने पेश की गईं. उन पर आरोप लगाए गए और उसका इस्तेमाल भी किया गया. क्या चुनाव आयोग को किसी भी मतदाता के सीसीटीवी वीडियो साझा करने चाहिए? खासकर जिनके नाम मतदाता सूची में है, वे अपने उम्मीदवार को चुनने के लिए वोट डालते हैं ऐसे में उनकी डिटेल्स को पब्लिक डोमेन में नहीं करना होता है. ज्ञानेश कुमार ने बताया कि कानून के अनुसार अगर समय रहते मतदाता सूचियों में त्रुटियां साझा न की जाए, अगर मतदाता द्वारा अपने उम्मीदवार को चुनने के 45 दिनों के भीतर हाई कोर्ट में चुनाव याचिका दायर नहीं की जाए, तो फिर वोट चोरी जैसे गलत शब्दों का इस्तेमाल करके जनता को गुमराह करने का असफल प्रयास करना सिर्फ गलता ही नहीं, बल्कि भारत के संविधान का अपमान है.
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