Durga Puja 2025: दुर्गा पूजा सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और आस्था का भव्य संगम है. शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिनों में मनाई जाने वाली दुर्गा पूजा, इस साल सितंबर से शुरू होगी.
Durga Puja 2025: दुर्गा पूजा, शक्ति की उपासना का सबसे बड़ा पर्व, इस साल 28 सितंबर 2025 से आरंभ होगा. शारदीय नवरात्रि के अंतिम पांच दिनों तक चलने वाला यह उत्सव विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, त्रिपुरा, मणिपुर, बिहार और झारखंड में भव्य रूप से मनाया जाता है. यह पर्व न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का भी संदेश देता है.
दुर्गा पूजा 2025 की प्रमुख तिथियां
- महाषष्ठी – 28 सितंबर 2025 (रविवार)
- महासप्तमी- 29 सितंबर 2025 (सोमवार)
- महाअष्टमी- 30 सितंबर 2025 (मंगलवार)
- महानवमी- 1 अक्टूबर 2025 (बुधवार)
- विजयादशमी/दशहरा- 2 अक्टूबर 2025 (गुरुवार)
षष्ठी तिथि का महत्व
षष्ठी तिथि के साथ ही दुर्गा पूजा की औपचारिक शुरुआत होती है. इस दिन को महालय कहा जाता है. मान्यता है कि महालय के दिन देवों और असुरों के बीच घमासान युद्ध हुआ था, जिसमें कई देवता और ऋषि वीरगति को प्राप्त हुए. इस अवसर पर तर्पण किया जाता है और देवी दुर्गा का विधिवत आह्वान होता है. षष्ठी के दिन बिल्व निमंत्रण, कल्पारंभ, अकाल बोधन, आमंत्रण और अधिवास का आयोजन होता है.
मां का मायके आगमन
दुर्गा पूजा की सबसे खास बात यह है कि इसे मां दुर्गा के मायके आने के उत्सव के रूप में मनाया जाता है. देवी अपने चारों बच्चों- गणेश, कार्तिकेय, लक्ष्मी और सरस्वती के साथ मायके आती हैं. इस अवसर पर बंगाली समुदाय उत्सवधर्मिता और पारिवारिक उमंग के साथ मां का स्वागत करता है.
सिंदूर खेला और विदाई
दुर्गा पूजा का अंतिम दिन सिंदूर खेला के लिए प्रसिद्ध है. इस दिन विवाहित महिलाएं देवी दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं और एक-दूसरे को भी सिंदूर लगाकर समृद्धि और वैवाहिक सुख की कामना करती हैं. इसके बाद देवी दुर्गा की विदाई होती है और भक्त उन्हें अगले वर्ष पुनः आने का निमंत्रण देते हैं.
दुर्गा पूजा सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और आस्था का भव्य संगम है. इस साल 28 सितंबर से शुरू हो रहा यह उत्सव नवरात्रि की भक्ति भावना को और गहरा करेगा. मां दुर्गा का आगमन भक्तों के जीवन में नई ऊर्जा, शक्ति और सकारात्मकता लेकर आएगा.
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