Home Latest News & Updates बलिया में महिला की शिकायत नजरअंदाज करना पड़ा भारी, कोर्ट ने SHO के खिलाफ FIR का दिया आदेश

बलिया में महिला की शिकायत नजरअंदाज करना पड़ा भारी, कोर्ट ने SHO के खिलाफ FIR का दिया आदेश

by Sanjay Kumar Srivastava
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UP News: बलिया की एक अदालत ने फेफना पुलिस स्टेशन के तत्कालीन एसएचओ सहित छह लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है.

UP News: उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में पीड़ित महिला की शिकायत को अनदेखी करना एक SHO को भारी पड़ गया. कुछ लोगों ने महिला के साथ मारपीट की थी. जब पीड़िता अपने साथ हुई मारपीट की शिकायत लेकर फेफना थाने पहुंची तो तत्कालीन SHO ने महिला की शिकायत को अनसुनी करते हुए कोई कार्रवाई की. उधर पीड़ित महिला सुनवाई न होने पर अदालत चली गई. जहां कोर्ट ने तत्कालीन SHO के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दे दिया. अभियोजन पक्ष ने रविवार को कहा कि बलिया की एक अदालत ने फेफना पुलिस स्टेशन के तत्कालीन एसएचओ सहित छह लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है, क्योंकि एक महिला ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने आरोपियों के इशारे पर उसकी मारपीट की शिकायत पर उचित कार्रवाई नहीं की.

पुलिस की लापरवाही पर अदालत सख्त

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) शैलेश पांडे ने शनिवार को बैरिया गांव की सोमारी देवी के आवेदन पर यह आदेश पारित किया. पीड़ित महिला ने आरोप लगाया था कि 11 जून, 2024 को उसी गांव की उनकी पट्टीदार (कृषि साझेदार) रिंकू देवी और उनके परिवार के सदस्य उनके घर में घुस आए और भूमि विवाद को लेकर उनके साथ दुर्व्यवहार और मारपीट की. पीड़िता ने यह भी दावा किया कि उसके बाएं हाथ में चाकू मारा गया था. विशेष लोक अभियोजक विमल कुमार राय ने कहा कि अदालत ने देखा कि पुलिस स्टेशन की रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि विवाद के विपक्षी पक्ष के प्रभाव में सोमारी देवी की मेडिकल जांच नहीं की गई थी. पीड़िता का मेडिकल परीक्षण न होना इस बात का संकेत है कि पुलिस और अस्पताल प्रशासन ने अपनी भूमिका ठीक से नहीं निभाई. ऐसे में मामले की जांच पुलिस से ही करवाना उचित प्रतीत होता है, ऐसा अदालत ने कहा.

SHO की भूमिका पर उठे सवाल

अदालत ने तत्कालीन थाना प्रभारी (SHO) और आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया और तीन दिन के भीतर एफआईआर की एक प्रति और जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. शिकायतकर्ता ने दावा किया था कि मारपीट की घटना की लिखित सूचना थाने को दी गई थी, लेकिन तत्कालीन थाना प्रभारी सहजानंद चौबे ने उसे डांटा और चाकू लगने की घटना का जिक्र रिपोर्ट से हटाने का दबाव बनाया. तत्कालीन थाना प्रभारी सहजानंद चौबे ने कथित तौर पर एक नया आवेदन पत्र लिखवाया, जिसमें कहा गया कि चोट लाठी से लगी है. शिकायतकर्ता ने कहा कि विपक्ष के प्रभाव में आकर उसकी चोटों की मेडिकल जांच भी नहीं कराई गई. इतना ही नहीं, पुलिस ने उसके बेटे मनोज के खिलाफ शांति भंग करने के आरोप में चालान भी दाखिल कर दिया. सोमारी देवी ने अपनी अर्जी में चौबे और सब-इंस्पेक्टर अजय कुमार समेत छह लोगों पर गड़बड़ी का आरोप लगाया था.पीड़ित महिला ने 20 जून 2024 को कोर्ट का रुख किया था.

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