Home Latest News & Updates फसल जलाने व हीटवेव के कारण UP के जंगल हुए तबाह,भारत में 1.5 करोड़ लोग प्रभावित,जलवायु परिवर्तन से बढ़ा खतरा

फसल जलाने व हीटवेव के कारण UP के जंगल हुए तबाह,भारत में 1.5 करोड़ लोग प्रभावित,जलवायु परिवर्तन से बढ़ा खतरा

by Sanjay Kumar Srivastava
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forest fire

New Delhi News: 2024-25 में भारत में करीब 15 मिलियन लोग जंगल की आग से प्रभावित हुए थे, जिसमें उत्तर प्रदेश सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र था.

New Delhi News: एक वैश्विक अध्ययन ‘स्टेट ऑफ वाइल्डफायर’ रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 में भारत में करीब 15 मिलियन लोग जंगल की आग से प्रभावित हुए थे, जिसमें उत्तर प्रदेश सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र था. शोधकर्ताओं ने कहा कि उत्तर प्रदेश में रिकॉर्ड सबसे ज्यादा जंगलों में आग फैली. इसका मुख्य कारण फसल जलाना, हीटवेव और सूखे ईंधन का जमा होना था. इन आग की वजह से नवंबर 2024 में नई दिल्ली में गंभीर धुंध छा गई. इस दौरान पीएम 2.5 का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित दैनिक मानक से 13 गुना अधिक था यानी 200 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ऊपर पहुंच गया था. इन निष्कर्षों ने दिखाया कि भारत में जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों का पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ रहा है. भारत सबसे बुरी तरह प्रभावित देशों में से एक है.

जीवन के लिए बढ़ रहा खतरा

अनुमान है कि कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में 15 मिलियन और नाइजीरिया, चीन, मोजाम्बिक और दक्षिण सूडान में प्रत्येक में पांच मिलियन लोग प्रभावित हुए हैं. अन्य संस्थानों के अलावा ईस्ट एंग्लिया विश्वविद्यालय, यूके मेट ऑफिस के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि गंभीर हीटवेव और सूखे दुनिया भर में अत्यधिक जंगली आग को और तीव्र बना रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप लोगों के जीवन के लिए खतरा बढ़ रहा है . भारत से बड़ा क्षेत्र 3.7 मिलियन वर्ग किलोमीटर 2024-25 में वैश्विक स्तर पर जंगली आग से जल गया, जिसमें आठ अरब टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ. शोधकर्ताओं के अनुसार, यह 2003 के बाद से औसत से लगभग 10 प्रतिशत अधिक होने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि उत्सर्जन दक्षिण अमेरिका और कनाडा में असामान्य रूप से बड़े और तीव्र जंगल की आग के कारण हुआ.

नाइजीरिया, चीन भी प्रभावित

यूके सेंटर फॉर इकोलॉजी एंड हाइड्रोलॉजी के लैंड सरफेस मॉडलर डगलस केली ने कहा कि हमारी वार्षिक रिपोर्ट इस बात के स्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत कर रही हैं कि किस प्रकार जलवायु परिवर्तन भीषण दावानल की गंभीरता को बढ़ा रहा है. अमेरिकी नासा द्वारा मार्च 2002 से फरवरी 2025 की अवधि के लिए जले हुए क्षेत्र का विश्लेषण किया गया. विश्लेषण में पाया गया कि सौ मिलियन लोग और 215 बिलियन अमरीकी डालर के घर और बुनियादी ढांचे जंगल की आग के संपर्क में थे. देश स्तर पर भारत और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य सबसे अधिक संख्या में हैं. प्रत्येक में लगभग 15 मिलियन लोग प्रभावित हुए हैं. नाइजीरिया, चीन, मोजाम्बिक और दक्षिण सूडान भी काफी हद तक प्रभावित हुए हैं. प्रत्येक में पांच मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं. भारत के उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक जनसंख्या के संकट में होने का अनुमान है.

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