Home Top News ‘SIR लोकतंत्र के लिए खतरा…’ चुनाव आयोग पर केरल के सीएम पी. विजयन ने साधा निशाना

‘SIR लोकतंत्र के लिए खतरा…’ चुनाव आयोग पर केरल के सीएम पी. विजयन ने साधा निशाना

by Sachin Kumar
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Kerala CM Vijayan : चुनाव आयोग की तरफ से बिहार के बाद दूसरे चरण में 12 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR का एलान करने के बाद सियासी माहौल गरमा गया है. इसी बीच केरल के सीएम ने SIR की कड़ी आलोचना की है.

Kerala CM Vijayan : बिहार के बाद अब चुनाव आयोग ने देश के करीब 12 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) करने का एलान किया है. यहां पर प्रक्रिया 4 नवंबर से शुरू हो जाएगी. इसके साथ ही विपक्ष ने विरोध करना शुरू कर दिया है और इसी कड़ी में केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन (Pinarayi Vijayan) ने मंगलवार को भारत के चुनाव आयोग द्वारा केरल में एसआईआर करवाने को लेकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया से लोकतंत्र को सबसे बड़ा खतरा है. उन्होंने एक बयान जारी करके कहा कि इस कदम से चुनाव आयोग की मंशा पर संदेह पता होता है और इस प्रक्रिया लागू होने के बाद जनता का विश्वास कम हो सकता है.

इन नियमों का उल्लंघन करता है SIR

सीएम पी. विजयन ने बताया कि इलेक्शन कमीशन मौजूदा मतदाता सूचियों के बजाय 2002 से 2004 की मतदाता सूचियों को आधार पर संशोधन करने की तैयारी कर रहा है. उन्होंने कहा कि 1950 के जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और 1960 के मतदाता पंजीकरण नियमों का उल्लंघन होगा. उन्होंने कहा कि इन कानूनों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई भी अद्यतन वर्तमान वोटर्स लिस्ट को आधार बनाकर किया जाना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग अधिकारी ने कमीशन को पहले ही सूचित कर दिया था कि विशेष गहन संशोधन अव्यावहारिक होगा क्योंकि केरल स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी तेजी से कर रहा है.

केरल विधानसभा ने किया था प्रस्ताव पारित

केरल के मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि इन चेतावनियों के बावजूद इस समय SIR को आगे बढ़ाना है और ऐसे कदम का उठना आयोग पर संदेह पैदा करता है. मुख्यमंत्री विजयन का बयान आयोग द्वारा घोषणा किए जाने के बाद आया है कि SIR नवंबर से फरवरी के बीच 12 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में किया जाएगा, जिसमें केरल भी शामिल है. बता दें कि इससे पहले केरल विधानसभा 29 सितंबर 2025 को एसआईआर के खिलाफ सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था. साथ ही इसको केरल सरकार ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NCR) को लागू करने का एक प्रत्यक्ष रूप बताया था. इस प्रस्ताव का वाम दलों का नेतृत्व वाला LDF और कांग्रेस के नेतृत्व वाला UDF ने समर्थन किया था.

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