Home Top News SP ने जाति-धर्म के आधार पर नियुक्त ऑफिसर को हटाने की मांग की, बोले- वैचारिक मानसिकता…

SP ने जाति-धर्म के आधार पर नियुक्त ऑफिसर को हटाने की मांग की, बोले- वैचारिक मानसिकता…

by Sachin Kumar
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Uttar Pradesh SIR : मुख्य निर्वाचन अधिकारी को सौंपे गए एक ज्ञापन में SP के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने राज्य में SIR के संचालन में शुरू करने से पहले से की गई नियुक्तियों पर पक्षपात करने का गंभीर आरोप लगाया.

Uttar Pradesh SIR : बिहार के बाद दूसरे चरण में 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में 4 नवंबर से चुनाव आयोग विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) करने वाला है. इसी बीच अब विपक्ष ने चुनाव आयोग पर निशाना साधना शुरू कर दिया है और केरल के मुख्यमंत्री ने कहा कि यह लोकतंत्र को खत्म करने वाली प्रक्रिया है. इसी बीच अब समाजवादी पार्टी (SP) ने मंगलवार को एसआईआर पर सवाल खड़ा कर दिया. पार्टी ने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण से पहले कथित तौर पर जातिगत और धार्मिक पर नियुक्त बूथ स्तरीय अधिकारियों, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (चुनाव) और निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों को हटाने की मांग की.

सभी धर्म और जाति के अधिकारी हों नियुक्त

मुख्य निर्वाचन अधिकारी को सौंपे गए एक ज्ञापन में समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने राज्य के 403 विधानसभा क्षेत्रों में SIR के संचालन में शुरू करने से पहले की गई नियुक्तियों पर पक्षपात करने का गंभीर आरोप लगाया. प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सत्तारूढ़ BJP सरकार ने अपनी वैचारिक मानसिकता वाले अधिकारियों की नियुक्ति करके इस प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश है. पार्टी ने यह भी कहा कि राज्य भर में 1,62,486 मतदान केंद्र एसआईआर प्रक्रिया के दौरान करीब 15.44 करोड़ वोटर्स को कवर करने का काम करेंगे. साथ ही समाजवादी पार्टी ने इलेक्शन कमीशन से निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से सभी जातियों और धर्मों के अधिकारियों की नियुक्ति करने का आग्रह किया.

आयोग को दिलाई पिछली घटना की याद

पार्टी ने अपने ज्ञापन में कानपुर नगर के सीसामऊ निर्वाचन क्षेत्र और अंबेडकर नगर के कटेहरी निर्वाचन क्षेत्र में 2024 के विधानसभा उपचुनावों का उल्लेख किया. जहां पर समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया कि बूथ स्तर के अधिकारियों को जाति और धर्म के आधार पर बदल दिया गया था. इसके अलावा 23 अगस्त और 23 सितंबर 2024 की उसकी शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया गया था और इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने दावा किया कि 2024 के उपचुनावों के दौरान मतदान और मतगणना कर्मियों की नियुक्ति में भी इस तरह की अनियमितताओं हुईं, लेकिन चुनाव आयोग मूक दर्शक बना रहा.

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