Calcutta High Court: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार को वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित कर दिया.
Calcutta High Court: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार को वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित कर दिया. अदालत ने कहा कि 2021 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के टिकट पर चुने जाने के बाद रॉय का तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल होना कानून का उल्लंघन था. न्यायालय ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को गलत बताते हुए रद्द किया और रॉय की सदस्यता 11 जून 2021 से समाप्त मानी. साथ ही लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष के रूप में उनका नामांकन भी निरस्त कर दिया गया. अदालत के फैसले से टीएमसी और भाजपा दोनों के लिए राजनीतिक प्रभाव पड़ने की संभावना है. न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने कहा कि उसे विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी के 8 जून, 2022 के आदेश को रद्द करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है, जिसके द्वारा उन्होंने विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी की याचिका को खारिज कर दिया था. याचिका में रॉय की अयोग्यता की मांग की गई थी.
11 जून 2021 को TMC में हो गए थे शामिल
अदालत ने भाजपा विधायक अंबिका रॉय की एक अन्य याचिका को अनुमति दे दी, जिस पर मुकुल रॉय को अयोग्य ठहराने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सुवेंदु अधिकारी की याचिका के अनुरूप सुनवाई की गई. पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बर रशीदी भी शामिल थे, ने कहा कि मुकुल रॉय को भारत के संविधान की दसवीं अनुसूची और 1986 के नियमों के अनुसार 11 जून, 2021 से अयोग्य घोषित किया जाता है. अदालत ने कहा कि अंबिका रॉय द्वारा अधिनिर्णय कार्यवाही में अध्यक्ष के समक्ष रखे गए साक्ष्यों को देखते हुए एकमात्र प्रशंसनीय निष्कर्ष यह है कि मुकुल रॉय की अयोग्यता के मुद्दे पर अध्यक्ष का निर्णय गलत है. पीठ ने कहा कि भाजपा विधायक अंबिका रॉय यह साबित करने में सक्षम हैं कि मुकुल रॉय 11 जून, 2021 को भाजपा छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे. पीठ ने कहा कि मुकुल रॉय की इस तरह की कार्रवाई ने दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता का कारण बना है. अयोग्यता याचिका 17 जून, 2021 को अध्यक्ष के समक्ष दायर की गई थी, जिसमें मुकुल रॉय द्वारा 11 जून, 2021 को दलबदल करने का आरोप लगाया गया था. अध्यक्ष ने 11 फरवरी, 2022 को अयोग्यता याचिका को खारिज करते हुए निर्णय लिया था.
विधानसभा अध्यक्ष का निर्णय पलटा
उच्च न्यायालय की एक अन्य खंडपीठ ने 11 अप्रैल, 2022 के एक आदेश द्वारा अध्यक्ष के निर्णय को रद्द कर दिया था और नए सिरे से निर्णय लेने का निर्देश दिया. अदालत ने गुरुवार को दिए अपने फैसले में कहा कि स्पीकर ने अयोग्यता याचिका पर फैसला करने में कानून का गलत इस्तेमाल किया और 8 जून, 2022 के अपने फैसले पर पहुंचने में तथ्यात्मक स्थिति को गलत समझा, जिसमें उन्होंने फिर से यह माना कि रॉय भाजपा के विधायक थे. उच्च न्यायालय ने उल्लेख किया कि मुकुल रॉय 2021 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के टिकट पर कृष्णानगर उत्तर निर्वाचन क्षेत्र से पश्चिम बंगाल विधानसभा के सदस्य के रूप में चुने गए थे, लेकिन 11 जून, 2021 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा करके टीएमसी में शामिल हो गए. प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल हुईं. उनके टीएमसी में शामिल होने का प्रसारण सत्तारूढ़ दल के आधिकारिक एक्स हैंडल पर भी किया गया. अदालत ने कहा कि अंबिका रॉय ने स्पीकर के समक्ष इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य, प्रेस कॉन्फ्रेंस की प्रतिलिपि और अन्य सामग्री पेश की थी. पीठ ने कहा कि दूसरे रिट याचिकाकर्ता ने स्पीकर के समक्ष उपलब्ध दलीलों के माध्यम से स्थापित किया था कि मुकुल रॉय टीएमसी द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद थे.
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