Home Top News वामपंथी इतिहासकारों पर राजनाथ का निशाना, कहा- पासी समुदाय के योगदान को नजरअंदाज किया

वामपंथी इतिहासकारों पर राजनाथ का निशाना, कहा- पासी समुदाय के योगदान को नजरअंदाज किया

by Sachin Kumar
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Rajnath Singh : वीरांगना उदा देवी पासी को उनके बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि वामपंथी इतिहासकारों ने पासी समुदाय को हिस्ट्री में विशेष स्थान नहीं दिया.

Rajnath Singh : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने शनिवार को कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में पासी समुदाय और अन्य हाशिए पर पड़े समूहों का योगदान रहा था. उन्हें इतिहास के पन्नों में विशेष स्थान दिया जाना था लेकिन वामपंथी इतिहासकारों और पूर्ववर्ती सरकारों ने उनके बलिदानों की अनदेखी कर दी. राजनाथ सिंह ने यह बात भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम ‘1857 की क्रांति’ में वीरता के लिए याद की जाने वाली वीरांगना उदा देवी पासी को उनके बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए बोली. रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम को आज इस तरह से पेश किया जाता है कि जैसे आजादी में कुछ एक परिवारों, चुनिंदा नेताओं या कुछ विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों ने लड़ाई लड़ी हो.

वीरता और बलिदान का परिचय दिया

रक्षा मंत्री ने कहा कि दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्गों और महिला योद्धाओं ने स्वतंत्रता संग्राम को मजबूती प्रदान करने के लिए अद्वितीय वीरता और बलिदान का परिचय दिया. वे समान रूप से भागीदार थे और समान मान्यता के हकदार भी रखते थे. उन्होंने आगे कहा कि इन समाज के कई योद्धाओं को न केवल इतिहास की किताबों में अंकित होना चाहिए था, बल्कि सम्मान भी किया जाना चाहिए था. सिंह ने बताया कि वामपंथी इतिहासकारों ने अपने सुविधानुसार इन नेताओं के पराक्रम और बलिदान को दरकिनार कर दिया. पिछली सरकारें भी पासी और दलित समुदाय के नायकों को उचित सम्मान देने में विफल रहीं.

रक्षा मंत्री ने किया पासियों की विरासत को याद

उन्होंने आगे कहा कि पृथ्वीराज चौहान के समकालीन महाराज बिजली पासी की विरासत को याद किया. उन्हें बिजनौर की स्थापना और एक समृद्ध क्षेत्र पर शासन करने का श्रेय दिया. उन्होंने कहा कि उनके शासनकाल में 12 मजबूत किलों का निर्माण न केवल उनकी समृद्धि, बल्कि उनकी ताकत और रणनीतिक क्षमता को भी दर्शाता है. राजनाथ सिंह ने बताया कि उनके योगदान को दर्ज करने में हमारी अपनी कमियों के कारण उनकी कहानियों को नजरअंदाज कर दिया गया. उन्होंने महाराजा सतन पासी, महाराजा लाखन पासी, महाराजा सुहेलदेव, रानी अवंतीबाई और उदा देवी को भी याद किया और कहा कि उनके बलिदानों को स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाना चाहिए था. इसके अलावा सिंह ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इन हस्तियों को राज्य के पाठ्यक्रम में शामिल करने को लेकर प्रशंसा की.

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