West Bengal SIR: SIR प्रक्रिया में मैपिंग के दौरान पाया गया कि पश्चिम बंगाल में 26 वोटरों के नाम पिछले 2002 वाली लिस्ट से मेल नहीं खाते हैं. आगे मैपिंग के साथ यह आंकड़ा बढ़ने की संभावना है.
27 November, 2025
West Bengal SIR: पश्चिम बंगाल में एकआईआर को लेकर सियासी घमासान मच गया है. राज्य की ममता सरकार इसका जमकर विरोध कर रही है. वहीं अब प्रक्रिया में एक बड़ी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है. इलेक्शन कमीशन ने रिपोर्ट दी है कि पश्चिम बंगाल की मौजूदा वोटर लिस्ट में करीब 26 लाख वोटर्स के नाम 2002 की वोटर लिस्ट से मैच नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह अंतर तब सामने आया जब राज्य की लेटेस्ट वोटर लिस्ट की तुलना पिछले SIR एक्सरसाइज के दौरान 2002 और 2006 के बीच अलग-अलग राज्यों में तैयार की गई लिस्ट से की गई.
ऐसे हुआ खुलासा
इलेक्शन कमीशन के सूत्रों के मुताबिक, SIR प्रक्रिया के तहत बुधवार दोपहर तक पश्चिम बंगाल में छह करोड़ से ज़्यादा एन्यूमरेशन फॉर्म डिजिटाइज़ कर दिए गए थे. अधिकारी ने बताया, “एक बार डिजिटाइज़ हो जाने के बाद, इन फॉर्म्स को मैपिंग प्रोसेस के तहत लाया जाता है, जहां उन्हें पिछले SIR रिकॉर्ड से मैच किया जाता है. शुरुआती नतीजों से पता चलता है कि पश्चिम बंगाल में करीब 26 लाख वोटर्स के नाम अभी भी पिछले SIR साइकिल के डेटा से मैच नहीं किए जा सके हैं.”

बढ़ सकता है आंकड़ा
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे डिजिटाइज़ेशन जारी रहेगा, यह आंकड़ा और बढ़ सकता है. चुनाव के मामले में, “मैपिंग” का मतलब है सबसे नई पब्लिश हुई वोटर लिस्ट को 2002 में आखिरी बार बनाए गए SIR रोल से क्रॉस-वेरिफाई करना. उन्होंने समझाया, “इस प्रोसेस में यह देखा जाता है कि दोनों लिस्ट में कितने नाम हैं और यह भी चेक किया जाता है कि किसी मौजूदा वोटर के माता-पिता के नाम पहले के SIR रिकॉर्ड में हैं या नहीं. जब ऐसे मैच मिलते हैं, तो वोटर की अलग से वेरिफ़िकेशन की जरूरत के बिना अपने आप पहचान हो जाती है.” हालांकि, उन्होंने साफ किया कि मैपिंग में गड़बड़ी का मतलब यह नहीं है कि उसे फ़ाइनल वोटर रोल से अपने आप हटा दिया जाएगा.
बिना जांच के नहीं कटेंगे नाम
अधिकारी ने कहा कि जिन वोटरों की जानकारी पिछली लिस्ट से मेल खाती है, उन्हें कोई और डॉक्यूमेंट जमा करने की ज़रूरत नहीं होगी और वे बस पोल बॉडी द्वारा दिया गया गिनती का फ़ॉर्म भर सकते हैं. जिन लोगों के नाम इन रिकॉर्ड से मैच नहीं हो पाते या ट्रेस नहीं हो पाते, उनकी पहचान और एलिजिबिलिटी कन्फ़र्म करने के लिए डॉक्यूमेंट-बेस्ड वेरिफ़िकेशन किया जाएगा.” EC ने कहा है कि इस काम का मकसद आने वाले चुनावों से पहले वोटर रोल में एक्यूरेसी और ट्रांसपेरेंसी पक्का करना है और किसी भी एलिजिबल वोटर को पूरी तरह वेरिफ़िकेशन के बिना बाहर नहीं किया जाएगा.
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