Chargesheet Against Reliance Power:रिलायंस पावर के साथ-साथ कई कंपनियों पर ED की चार्जशीट के बाद कई चौंकाने वाले दावे सामने आए हैं. आप भी जानें.
06 December, 2025
Chargesheet Against Reliance Power: देश की बड़ी कंपनियों से जुड़े एक हाई-प्रोफाइल केस में शनिवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रिलायंस पावर लिमिटेड, उसकी दो सब्सिडियरी कंपनियों और कुल 10 आरोपियों के खिलाफ फर्जी बैंक गारंटी मामले में बड़ा कदम उठाया है. ये मामला 68 करोड़ रुपए की फर्जी बैंक गारंटी से शुरू हुआ था, जिसे सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) के टेंडर को सेफ करने के लिए जमा किया गया था.
आखिर है क्या मामला?
ED के मुताबिक टेंडर हासिल करने के लिए रिलायंस NU BESS लिमिटेड (एक्स नाम महाराष्ट्र एनर्जी जेनरेशन लिमिटेड) की तरफ से SECI को 68.2 करोड़ की बैंक गारंटी दी गई थी. जांच में सामने आया कि ये गारंटी असली नहीं थी. एजेंसी के अनुसार, रिलायंस ग्रुप के अधिकारियों को पता था कि ये गारंटी नकली है, लेकिन इसके बावजूद स्पूफ्ड SBI ईमेल आईडी से फर्जी एंडोर्समेंट भेजे जा रहे थे. जब SECI ने धोखाधड़ी पकड़ ली, तब रिलायंस ग्रुप ने एक दिन के अंदर IDBI बैंक से असली बैंक गारंटी तैयार करवा ली. हालांकि, ये भी टाइम लिमिट खत्म होने के बाद जमा की गई, इसलिए SECI ने इसे मंजूर नहीं किया.
आरोपियों की लिस्ट
चार्जशीट में एक्स CFO अशोक कुमार पाल का नाम शामिल है. साथ ही रिलायंस NU, BESS और रोसा पावर सप्लाई कंपनी ओडिशा की शेल कंपनी बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड और उसके MD पार्थ सारथी बिस्वाल का भी नाम शामिल है. वहीं, अमर नाथ दत्ता (ट्रेड फाइनेंस कंसलटेंट), रविंदर पाल सिंह चड्ढा, मनोज भाईयासाहेब पोंगड़े और पुनीत नरेंद्र गर्ग के खिलाफ चार्जशीट बनी है. ED ने ये चार्जशीट PMLA (मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम) के तहत दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में फाइल की है.
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क्या-क्या आया सामने?
एजेंसी का दावा है कि रिलायंस ग्रुप के अधिकारियों ने एक डमी एग्रीमेंट तैयार किया. कोलकाता नगर निगम से फर्जी पता देकर सर्टिफिकेट ऑफ एनलिस्टमेंट बनवाया और फर्जी विदेशी बैंक गारंटी के लिए शेल कंपनी बिस्वाल ट्रेडलिंक की सर्विस लीं. इसके अलावा जांच में ये भी पता चला कि, फिलीपींस के नॉन-एग्जिस्टेंट फ्रस्टरैंड बैंक और मलेशिया की ACE इन्वेस्टमेंट बैंक लिमिटेड की फर्जी गारंटी बनाई गई थीं. इसके अलावा SBI के नाम से फर्जी ईमेल भेजने के लिए s-bi.co.in नाम का एक नकली डोमेन इस्तेमाल हुआ था. रिलायंस पावर ने अपनी एक सब्सिडियरी रोसा पावर से 6.33 करोड़ रुपए बिस्वाल ट्रेडलिंक को नकली ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज के नाम पर भेजे. फर्जी इनवॉइस, फर्जी वर्क ऑर्डर और भारी फीस (5.40 करोड़ रुपए) देकर पूरे सेटअप को बिजनेस ट्रांजेक्शन जैसा दिखाने की कोशिश की गई.
रिलायंस का पक्ष
रिलायंस ग्रुप ने कहा है कि अनिल अंबानी पिछले 3.5 साल से रिलायंस पावर के बोर्ड में नहीं हैं. ऐसें में इस मामले से उनका कोई लेना देना नहीं है. कंपनी का दावा है कि वो खुद इस फर्जीवाड़े के विक्टिम हैं. वैसे, ED इस केस में अब तक 5.15 करोड़ रुपए की संपत्तियां अटैच कर चुकी है. कई आरोपी, जिनमें पूर्व CFO और बिस्वाल ट्रेडलिंक का MD शामिल है, ज्यूडिशियल कस्टडी में हैं. खैर, रिलायंस पावर से जुड़ा ये मामला कॉर्पोरेट दुनिया की सबसे चर्चित जांचों में से एक बन गया है. जैसे-जैसे ED की जांच आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे कई नए चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं.
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