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चीन को चुनौती देने के लिए जापान का बड़ा एक्शन! कैबिनेट ने दी रिकॉर्ड रक्षा बजट को मंजूरी

by Sachin Kumar
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Japan-China Controversy : कैबिनेट ने रक्षा बजट को ऐसे समय में मंजूरी दी है जब जापान और चीन के बीच तनाव बढ़ रहा है. इसका मकसद क्रूज मिसाइलों और बिना पायलट वाले हथियारों से अपनी जवाबी हमला करने की क्षमता को बढ़ाना है.

Japan-China Controversy : तटीय इलाकों को लेकर जापान और चीन के बीच में विवाद रहता है और इसको चुनौती देने के लिए जापान कैबिनेट ने शुक्रवार को रिकॉर्ड रक्षा बजट को मंजूरी दी है. चीन को रोकने के लिए जापान ने जिस बजट को मंजूरी दी है उसका मकसद क्रूज मिसाइलों और बिना पायलट वाले हथियारों से अपनी जवाबी हमला करने की क्षमता और तटीय सुरक्षा को मजबूत करना है, क्योंकि इस इलाके में तनाव बढ़ रहा है. वहीं, अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष 2026 के लिए बजट का ड्राफ्ट 2025 से 9.4 प्रतिशत ज्यादा है. बता दें कि जापान ने पांच साल के प्रोग्राम में रक्षा बजट को बजट बढ़ाने के लिए कहा गया है और यह चौथा साल चल रहा है. इस प्रोग्राम का सीधा मकसद है कि सालाना हाथियारों पर खर्च को सकल घरेलू उत्पाद के 2 फीसदी तक करना है.

इस संघर्ष में शामिल होगी जापानी सेना

कैबिनेट ने रक्षा बजट को ऐसे समय में मंजूरी दी है जब जापान और चीन के बीच तनाव बढ़ रहा है. जापानी प्रधानमंत्री सनाए ताकाइची ने नवंबर में कहा था कि अगर चीन ताइवान के खिलाफ कार्रवाई करता है, तो उनके देश की सेना इसमें शामिल हो सकती है. ताइवान एक स्व-शासित द्वीप है जिसके बारे में बीजिंग का कहना है कि उसे उसके शासन के तहत आना चाहिए. जापान की ताकाइची सरकार ने अमेरिका के सैन्य खर्च बढ़ाने के दबाव में मार्च 2 फीसदी का लक्ष्य हासिल करने का वादा किया है. जापान दिसंबर 2026 तक जापान अपनी मौजूदा सुरक्षा और रक्षा नीति में बदलाव करने के लिए इच्छा जता रहा है. इसके अलावा जापान अपनी हमला करने की क्षमता को लंबी दूरी की मिसाइलों से बढ़ा रहा है ताकि दुश्मन के ठिकानों पर दूर से हमला किया जा सके.

चीन को बताया गया सबसे बड़ी चनौती

जापान लगातार हमला करने की क्षमता को लंबी दूरी की मिसाइलों से बढ़ा रहा है ताकि दुश्मन के ठिकानों पर दूर से हमला किया जा सके. यह दूसरे विश्व युद्ध के बाद उस सिद्धांत से एक बड़ा बदलाव है, जिसमें बल का इस्तेमाल सिर्फ अपनी आत्मरक्षा तक सीमित था. साल 2022 में अपनाई गई मौजूदा सुरक्षा रणनीति में चीन को देश की सबसे बड़ी रणनीतिक चुनौती बताया गया है और अमेरिका के साथ अपने सुरक्षा गठबंधन के तहत जापान की सेल्फ-डिफेंस फोर्स के लिए ज्यादा आक्रामक भूमिका की बात कही गई है. बता दें कि नए बजट प्लान में जापान की स्टैंडऑफ मिसाइल क्षमता को बढ़ाने के लिए 970 बिलियन येन (6.2 बिलियन डॉलर) से ज़्यादा का आवंटन किया गया है. इसमें घरेलू स्तर पर विकसित और अपग्रेड की गई टाइप-12 सतह से जहाज पर मार करने वाली मिसाइलों की 177 बिलियन येन (1.13 बिलियन डॉलर) की खरीद शामिल है, जिनकी रेंज करीब 1 हजार किलोमीटर है.

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