इनकम टैक्स एक्ट 2025 में सेविंग अकाउंट में कैश डिपॉजिट के नियमों में बदलाव किए गए हैं. कस्टमर्स के लिए ये जानकारी बेहद अहम है.
Cash Deposit Limit: इनकम टैक्स एक्ट 2025 में सेविंग अकाउंट में कैश डिपॉजिट लिमिट को अपडेट किया गया है. अगर आप सेविंग अकाउंट में कैश जमा कराते हैं और एक फाइनेंशियल ईयर के दौरान 10 लाख रुपये या उससे ज्यादा कैश जमा कराते हैं तो आपको अधिकारियों को इन्फॉर्म करना जरूरी है. वहीं करंट अकाउंट वाले कस्टमर्स के लिए रिपोर्टिंग की लिमिट 50 लाख रुपये तक बढ़ाई गई है. वैसे तो आपकी मनी या सेविंग जिसे आप बैंक में डिपॉजिट करते हैं, तुरंत ही टैक्स के अंडर नहीं आती लेकिन फाइनेंशियल ऑर्गेनाइजेशन को लिमिट से ज्यादा लेनदेन की सूचना टैक्स डिपार्टमेंट को देने की बाध्यता है.
कैश विड्रॉल पर कितना लगता है टीडीएस?
धारा 194एन
नकद निकासी (cash withdrawals) की बात करें तो भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 194एन में टीडीएस (Tax Deducted at Source) के नियम बताए गए हैं. कानून के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति एक फाइनेंशियल ईयर में एक करोड़ रुपये से अधिक की निकासी करता है तो उसपर 2% टीडीएस लगेगा. जिन लोगों ने बीते तीन सालों से अपना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं किया है, उनपर 20 लाख रुपये से अधिक के कैश विड्रॉल पर 2% टीडीएस लागू है जबकि उसी फाइनेंशियल ईयर में एक करोड़ रुपये से ज्यादा के कैश विड्रॉल पर 5% टीडीएस लागू होता है. ध्यान रखने वाली बात ये है कि धारा 194एन के तहत काटे गए टीडीएस को आय के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाता लेकिन जब आप ITR फाइल करते हैं तो उस समय पर इसका यूज क्रेडिट के रूप में किया जा सकता है.
जानिए कैश ट्रांजेक्शन लिमिट
करंट अकाउंट में कैश डिपॉजिट लिमिट
करंट अकाउंट्स का यूज ज्यादातर बिजनेस और एंटरप्राइसेस के द्वारा लेनदेन के लिए होता है. इन अकाउंट्स में कैश डिपॉजिट की लिमिट सेविंग अकाउंट की तुलना में ज्यादा होती है क्योंकि व्यवसायी भारी मात्रा में कैश का लेन-देन करते हैं. यहां ये ध्यान रखना जरूरी है कि यहां लिमिट बैंक और व्यवसायिक गतिविधियों के आधार पर अलग हो सकती हैं. इसे आप ऐसे समझिए कि SBI में कैश डिपॉजिट की लिमिट 5 लाख से 100 करोड़ रुपये प्रति माह है जबकि HDFC में यह 60 लाख या वर्तमान मासिक शेष (AMB) के मूल्य का दस गुना है. इस लिमिट को पार करने पर बैंक कैश डिपॉजिटर से कुछ इंटरेस्ट ले सकता है.
कैश विड्रॉल की लिमिट
कैश विड्रॉल लिमिट ये सुनिश्चित करती है कि बड़े अमाउंट के विड्रॉल की इन्फॉर्मेशन संबंधित अधिकारियों को मिलती रहे. ये लिमिट बैंकों और अकाउंट टाइप के हिसाब से अलग हो सकती है लेकिन आमतौर पर इन्हें मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी जैसी अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए रखा गया है.
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