Home Latest News & Updates RGI से जोड़ा जाएगा मृत्यु डेटा, मृतकों के नाम होंगे बाहर, मतदाता सूची को त्रुटि मुक्त करेगा चुनाव आयोग

RGI से जोड़ा जाएगा मृत्यु डेटा, मृतकों के नाम होंगे बाहर, मतदाता सूची को त्रुटि मुक्त करेगा चुनाव आयोग

by Sanjay Kumar Srivastava
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Election Commission

Election Commission: चुनाव आयोग जल्द ही विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू करने जा रहा है. बिहार की तरह ही सभी राज्यों में मृत मतदाताओं को मतदाता सूची से हटा दिया जाएगा.

Election Commission: देश में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव के लिए चुनाव आयोग जल्द ही विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू करने जा रहा है. बिहार की तरह ही सभी राज्यों में मृत मतदाताओं को मतदाता सूची से हटा दिया जाएगा. निकट भविष्य में सभी राज्यों में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) में बिहार जैसी प्रवृत्ति देखने को मिलेगी, जहां कई वर्षों के बाद लाखों मृत व्यक्तियों को मतदाता सूची से हटा दिया गया था. चुनाव आयोग का मानना ​​है कि एक बार जन्म और मृत्यु के रजिस्ट्रार के डेटा को चुनाव मशीनरी के साथ जोड़ने की प्रणाली मजबूत हो जाने के बाद मृतक व्यक्तियों के मतदाता सूची का हिस्सा होने का मुद्दा अंततः सुलझ जाएगा. बिहार में एसआईआर शुरू होने से पहले राज्य में 7.89 करोड़ मतदाता थे.

BLO के पास नहीं होती मौत की जानकारी

एसआईआर शुरू होने के बाद 1 अगस्त को प्रकाशित मसौदा रोल में 7.24 करोड़ मतदाता थे, क्योंकि लगभग 65 लाख नाम हटा दिए गए थे, जिनमें 22 लाख मृत व्यक्ति शामिल थे. अगस्त में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने बताया था कि बिहार में मृतक के रूप में पहचाने गए लगभग 22 लाख मतदाताओं की मृत्यु हाल ही में नहीं हुई थी, बल्कि शायद अतीत में दर्ज नहीं की गई थी. उन्होंने कहा कि जब तक लोग अपने परिवारों में हुई मौत की सूचना नहीं देते, बूथ स्तर के अधिकारियों (BLO) के पास ऐसे मामलों की जानकारी हासिल करने का कोई ज़रिया नहीं है. गहन पुनरीक्षण के दौरान यह प्रक्रिया ज़्यादा कड़ी होती है, तो चुनाव आयोग उन लोगों के नाम हटाने को लेकर ज़्यादा सतर्क रहता है जिनकी या तो मृत्यु हो गई है या वे कहीं और चले गए हैं.

RGI से होगा सत्यापन

मतदाता सूची को तेज़ी से अद्यतन करने और उसे त्रुटि-मुक्त बनाने के लिए चुनाव अधिकारी अब भारत के महापंजीयक (RGI) से मृत्यु पंजीकरण डेटा इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्राप्त करेंगे. इससे यह सुनिश्चित होगा कि मतदाता पंजीकरण अधिकारियों (ERO) को पंजीकृत मौत की समय पर जानकारी मिले और बीएलओ मृतक के परिजनों के औपचारिक अनुरोध का इंतज़ार किए बिना फ़ील्ड विज़िट के ज़रिए जानकारी का पुनर्सत्यापन कर सकें. एक पदाधिकारी ने कहा कि लोगों को अपने परिवारों में हुई मौत की सूचना चुनाव अधिकारियों को देने का कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता. लेकिन एक बार डेटा लिंकेज स्थापित हो जाने के बाद मतदाता सूची में मृतक व्यक्तियों की मौजूदगी अंततः समाप्त हो जाएगी. पदाधिकारी ने कहा कि एक बार RGI और नगरपालिका व ग्रामीण निकायों के साथ डेटा लिंकेज मज़बूती से स्थापित हो जाने के बाद मतदाता सूची ज़्यादा त्रुटि मुक्त हो जाएगी.

ये भी पढ़ेंः बिहार में SIR के बाद अंतिम मतदाता सूची जारी, पटना में जुड़े 1.63 लाख वोटर्स

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