Home राज्यDelhi चिकित्सकों ने कहा- भारत में प्रसव पूर्व थैलेसीमिया की जांच हो अनिवार्य, महज 150 रुपए में बच सकती है बच्चे की जान

चिकित्सकों ने कहा- भारत में प्रसव पूर्व थैलेसीमिया की जांच हो अनिवार्य, महज 150 रुपए में बच सकती है बच्चे की जान

by Sanjay Kumar Srivastava
0 comment
World Thalassemia Day

भारत वैश्विक स्तर पर थैलेसीमिया के सबसे अधिक बोझ का सामना कर रहा है. सर गंगा राम अस्पताल में बाल स्वास्थ्य संस्थान के सह-निदेशक डॉ. अनुपम सचदेवा ने कहा कि दिल्ली में प्रतिदिन 863 बच्चे जन्म लेते हैं.

New Delhi: भारत में प्रसव पूर्व थैलेसीमिया की जांच को अनिवार्य किया जाना चाहिए. प्रसवपूर्व जांच से इस वंशानुगत रक्त विकार को रोका जा सकता है. साथ ही इलाज में होने वाले खर्च को भी काफी कम किया जा सकता है. ये बातें विश्व थैलेसीमिया दिवस की पूर्व संध्या पर बुधवार को डॉक्टरों ने कही. चिकित्सकों ने कहा कि पहली तिमाही में थैलेसीमिया की जांच को प्रसवपूर्व देखभाल का अनिवार्य हिस्सा बनाया जाना चाहिए. थैलेसीमिया (थैलेसीमिया के कारण शरीर में सामान्य से कम हीमोग्लोबिन बनता है, जिसकी वजह से रोगी को बार-बार खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है) भारत के सबसे ज्यादा वंशानुगत रोगों में से एक है, जिसे रोका जा सकता है.

प्रति बच्चे पर करीब पांच लाख तक इलाज में होता है खर्च

विशेषज्ञों ने कहा कि प्रति वर्ष प्रति बच्चे पर करीब पांच लाख तक इलाज में खर्च होता है, लेकिन समय पर जांच होने से केवल 150 रुपये में ही इसे रोका जा सकता है. भारत वैश्विक स्तर पर थैलेसीमिया के सबसे अधिक बोझ का सामना कर रहा है. सर गंगा राम अस्पताल में बाल स्वास्थ्य संस्थान के सह-निदेशक डॉ. अनुपम सचदेवा ने कहा कि दिल्ली में प्रतिदिन 863 बच्चे जन्म लेते हैं. सभी गर्भवती महिलाओं की उनकी पहली तिमाही के दौरान जांच की जानी चाहिए. डॉ. सचदेवा ने कहा कि ये सरल कदम विवाह और भविष्य में थैलेसीमिया को रोक सकते हैं. उन्होंने कहा कि केवल 150 रुपये में हम एक बच्चे को बचा सकते हैं. हमें थैलेसीमिया जांच को पूरे भारत में प्रसवपूर्व देखभाल का एक मानक हिस्सा बनाना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे हम रक्त शर्करा या हीमोग्लोबिन के लिए करते हैं. दिल्ली की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली इस प्रयास का समर्थन करने के लिए अच्छी तरह से तैयार है.

ये भी पढ़ेंः दिल्ली में आयुष्मान वय वंदना योजना शुरू, 70 साल से अधिक के नागरिकों को मिलेगा 10 लाख तक का फ्री इलाज

मध्यम आय वाले परिवारों के लिए बोझ है थैलेसीमिया का इलाज

उन्होंने कहा कि शहर में HPLC और D10 मशीनों से लैस 150 से अधिक डायग्नोस्टिक लैब हैं, जिनमें AIIMS जैसे शीर्ष संस्थान भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि प्रत्येक केंद्र प्रतिदिन 180 व्यक्तियों की जांच कर सकता है. उन्होंने कहा कि यह संसाधनों की चुनौती नहीं है, बल्कि प्राथमिकता तय करने की चुनौती है. थैलेसीमिक्स इंडिया की सचिव शोभा तुली ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के तहत आयुष्मान भारत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले थैलेसीमिया रोगियों को सहायता प्रदान करता है. लेकिन, वास्तविकता यह है कि थैलेसीमिया के प्रबंधन की लागत मध्यम आय वाले परिवारों के लिए भी बोझ है. यदि सभी के लिए स्वास्थ्य लक्ष्य है, तो थैलेसीमिया को वास्तविक प्राथमिकता मिलनी चाहिए.

ईरान सहित कई देशों में शादी से पहले ही जांच अनिवार्य

उन्होंने कहा कि ईरान और कई अन्य देशों ने शादी से पहले और गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में थैलेसीमिया की जांच अनिवार्य कर दी है. इन निवारक उपायों के कारण थैलेसीमिया मेजर से पीड़ित नए बच्चों के जन्म में नाटकीय कमी आई है. तुली ने कहा कि भारत को भी इस प्रमाणित मार्ग का अनुसरण करना चाहिए. हम केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से गर्भावस्था की पहली तिमाही में और प्रजनन आयु वर्ग में थैलेसीमिया परीक्षण के लिए राष्ट्रीय विनियामक अनिवार्यता लागू करने का पुरजोर आग्रह करते हैं.

पीड़ित को सरकार से समाधान की उम्मीद

सर गंगा राम अस्पताल में थैलेसीमिया यूनिट के प्रभारी डॉ. वीके खन्ना ने कहा कि हमारे अपने अस्पताल ने पिछले 25 वर्षों में 50 हजार से अधिक गर्भधारण की जांच की है. हमारे पास उस पूल से थैलेसीमिया का कोई भी जन्म नहीं हुआ है. यह मॉडल काम करता है. बुनियादी ढांचा तैयार है. अब हमें शहर और अंततः पूरे देश में इसे पहुंचाने के लिए राजनीतिक और नियामक गति की आवश्यकता है. थैलेसीमिया मेजर बच्चे के एक माता-पिता ने नाम न बताते हुए कहा कि हम पिछले आठ वर्षों से इस स्थिति का सामना कर रहे हैं. हर कुछ सप्ताह में, हमारे बच्चे को रक्त चढ़ाने की आवश्यकता होती है और लागत बढ़ती जा रही है. हम गरीबी रेखा से नीचे नहीं हैं, लेकिन हमें अभी भी सहायता की आवश्यकता है. हमें उम्मीद है कि सरकार हमारी समस्या पहचानेगी और हमारे जैसे परिवारों के लिए पहुंच का विस्तार करेगी.

ये भी पढ़ेंः इस रोग को लेकर भारत सरकार गंभीर, सटीक इलाज के लिए संस्थानों को किया जा रहा अति आधुनिक उपकरणों से लैस

You may also like

LT logo

Feature Posts

Newsletter

@2025 Live Time. All Rights Reserved.

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?