Home International कनाडा चुनाव में सत्ता की नई लकीरें, लिबरल पार्टी की वापसी, भारत विरोध की राजनीति को झटका

कनाडा चुनाव में सत्ता की नई लकीरें, लिबरल पार्टी की वापसी, भारत विरोध की राजनीति को झटका

by Jiya Kaushik
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CANADA ELECTION: कनाडा चुनावों ने साफ कर दिया कि जनता अब सिर्फ वादों नहीं, नीयत और नीति के आधार पर वोट दे रही है.

CANADA ELECTION: कनाडा चुनावों ने साफ कर दिया कि जनता अब सिर्फ वादों नहीं, नीयत और नीति के आधार पर वोट दे रही है. भारत विरोध की राजनीति अब वोटबैंक नहीं, राजनीतिक बोझ बनती जा रही है. नई सरकार से रिश्तों में संतुलन और वैश्विक सहयोग की उम्मीद की जा रही है.

CANADA ELECTION: कनाडा के आम चुनावों में एक ओर जहां जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी ने फिर से सरकार बनाने की ओर कदम बढ़ाए हैं, वहीं भारत विरोधी एजेंडे के लिए पहचाने जाने वाले जगमीत सिंह और उनकी पार्टी एनडीपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है.एनडीपी की सीटें बुरी तरह घटी हैं और जगमीत सिंह को खुद भी अपनी सीट गंवानी पड़ी है. इसके साथ ही उन्होंने पार्टी प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया है.

नई सरकार की ओर लिबरल पार्टी का कदम

कनाडा के आम चुनावों में इस बार कई ऐतिहासिक मोड़ देखने को मिले. जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी एक बार फिर सत्ता में लौट रही है, हालांकि इस बार प्रधानमंत्री पद की कमान खुद ट्रूडो के हाथों में नहीं रहेगी. पार्टी ने 166 सीटें जीतकर बहुमत के करीब पहुंचने की स्थिति बना ली है, जबकि सरकार बनाने के लिए 172 सीटों की आवश्यकता होती है.

मार्क कार्नी होंगे कनाडा के नए प्रधानमंत्री

Mark Carney will be the new Prime Minister of Canada

इस चुनाव में लिबरल पार्टी ने नेतृत्व परिवर्तन का साहसी कदम उठाया. पार्टी ने पूर्व केंद्रीय बैंक गवर्नर मार्क कार्नी को अगला प्रधानमंत्री घोषित किया है. ट्रूडो की छवि पर बढ़ते विवादों और थकान के कारण यह निर्णय पहले ही पार्टी के अंदर लिया जा चुका था. कार्नी को एक व्यावहारिक और संतुलित नेता के रूप में देखा जा रहा है, और जनता ने भी उन्हें स्वीकार कर लिया है.

एनडीपी की करारी हार, जगमीत सिंह का इस्तीफा

इस चुनाव में सबसे बड़ा झटका एनडीपी पार्टी और उसके प्रमुख जगमीत सिंह को लगा. 2021 में जहां पार्टी ने 25 सीटें जीती थीं, वहीं इस बार यह संख्या घटकर मात्र 7 रह गई. जगमीत सिंह खुद भी अपनी सीट नहीं बचा सके और तीसरे स्थान पर रह गए. हार स्वीकार करते हुए उन्होंने एनडीपी प्रमुख पद से इस्तीफा देने की घोषणा की.

खालिस्तान और भारत विरोध बना जगमीत के पतन का कारण

जगमीत सिंह की हार का एक प्रमुख कारण उनकी भारत विरोधी छवि और खालिस्तान समर्थकों के साथ उनका जुड़ाव माना जा रहा है. उन पर यह भी आरोप लगे कि उन्होंने खालिस्तानी तत्वों को कानूनी सहायता दी. भारत पहले ही उन्हें बैन कर चुका है. उनकी कट्टरपंथी राजनीति अब कनाडा के मतदाताओं को स्वीकार नहीं है, खासकर जब देश बहुसांस्कृतिक समरसता की ओर बढ़ रहा है.

भारत-कनाडा संबंधों पर संभावित सुधार

Potential improvement on India-Canada relations

इस चुनाव के परिणाम भारत के दृष्टिकोण से भी अहम माने जा रहे हैं. जगमीत सिंह के परिदृश्य से हटने और ट्रूडो की भूमिका सीमित होने के कारण भारत-कनाडा के संबंधों में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा रही है. मार्क कार्नी की अगुवाई में व्यापार, सुरक्षा और तकनीकी सहयोग को नया बल मिल सकता है.

यह भी पढ़ें: Spymaster of India: एक जासूस जिसने हिंदुस्तान को सीना ठोक कर चलना सिखाया और अपने हुनर से दुश्मनों के होश उड़ा दिए

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