Home Latest News & Updates बंगाल में SIR पर होगी सुनवाई, बनवाए गए 3,234 सेंटर; 32 लाख वोटरों को किया जाएगा कवर

बंगाल में SIR पर होगी सुनवाई, बनवाए गए 3,234 सेंटर; 32 लाख वोटरों को किया जाएगा कवर

by Sachin Kumar
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SIR hearings to begin on Saturday in Bengal

West Bengal SIR : पश्चिम बंगाल में SIR के बीच जल्द सुनवाई होगी और जिन मतदाताओं के नाम वोटर्स लिस्ट से हटाए गए हैं उन्हें अपने नाम जोड़ने का मौका दिया जाएगा. इसके लिए चुनाव आयोग ने 3,234 सेंटर बनाए हैं.

West Bengal SIR : पश्चिम बंगाल में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) के बीच राज्य निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (EROs) ने गंभीर जताई है. अधिकारियों का कहना है कि सिस्टम जनित तरीके से वोटर्स के नाम लिस्ट से हटाए जा सकते हैं, जबकि इसके लिए EROs को जिम्मेदार ठहराया जाएगा. इसी बीच एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पश्चिम बंगाल में चुनावी लिस्ट के SIR के तहत शनिवार को सुनवाई शुरू होगी, जिसके लिए पूरे राज्य में 3,234 सेंटर बनाए गए हैं. उन्होंने बताया कि पहले फेज में करीब 32 लाख ‘अनमैप्ड’ वोटर्स यानी वह लोग जो साल 2002 की चुनावी लिस्ट से अपना नाम नहीं जोड़ पाए हैं, उन्हीं लोगों को सुनवाई के लिए बुलवाया जाएगा.

12 मान्यता प्राप्त डॉक्यूमेंट को ले जाना होगा

वहीं, राज्य के चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर (CEO) के ऑफिस के अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि वोटर्स को पहचान और पते के सबूत के तौर पर आधार समेत 12 मान्यता प्राप्त डॉक्यूमेंट में से कोई भी जमा कर सकते हैं. हालांकि, इलेक्शन कमीशन ने यह भी साफ किया है कि आधार कार्ड को अकेले डॉक्यूमेंट के तौर पर स्वीकार नहीं किया जाएगा. साथ ही बिहार में हाल ही में हुए SIR के दौरान तैयार की गई चुनावी लिस्ट को भी वैलिड डॉक्यूमेंट माना जाएगा. इसके अलावा किसी भी व्यक्ति ने जाली डॉक्यूमेंट जमा करने की कोशिश की तो वह दंडनीय अपराध माना जाएगा और संबंधित धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी.

4500 से ज्यादा रखे गए माइक्रो-ऑब्जर्वर

इसके अलावा राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल ने कहा कि सुनवाई के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई और अब इस प्रक्रिया के तहत काम किया जाएगा. दूसरी तरफ अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई बात करते हुए बताया कि यह प्रोसेस 4500 से ज्यादा माइक्रो-ऑब्जर्वर की देखरेख में होगी और इसकी सुनवाई के लिए 3,234 केंद्रों पर ERO, ARO, BLO और ऑब्जर्वर जैसे अधिकृत अधिकारियों को ही अनुमति दी गई है. इन सभी प्रक्रिया को ध्यान में रखकर इलेक्शन कमीशन ने कहा कि एक बार सुनवाई केंद्र और नियम तय हो जाने के बाद कोई भी बदलाव नहीं किए जाएंगे और इन उपायों का मकसद रिवीजन प्रक्रिया में पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करना है.

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