1984 Riots: 1984 में गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब में कथित दंगे के दौरान कमलनाथ की मौजूदगी का जिक्र किया गया था. अब याचिका दर्ज करने के बाद हाई कोर्ट ने केंद्र और पुलिस से जवाब तलब करने को कहा है.
1984 Riots: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र शासित प्रदेश के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा (Manjinder Singh Sirsa) की उस अर्जी पर केंद्र और पुलिस से जवाब मांगा, जिसमें एक पुलिस अधिकारी से रिपोर्ट पेश करने की मांग की गई थी. बताया जा रहा है कि 1984 में गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब में कथित दंगे के दौरान कमलनाथ की मौजूदगी का जिक्र किया गया था. जस्टिस रविंदर डुडेजा ने अर्जी पर पुलिस और केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके 15 जनवरी, 2026 तक या उससे पहले जवाब तलब करने के लिए कहा है. इसके अलावा अर्जी में अधिकारियों को यह निर्देश देने की मांग की गई कि वे उस समय के एडिशनल पुलिस कमिश्नर गौतल कौल द्वारा पुलिस कमिश्नर को सौंपी गई रिपोर्ट को पेश करें.
पिटीशन फाइनल की गई
बताया जा रहा है कि रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कमलनाथ की मौजूदगी को क्राइम की जगह यानी गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब में दिखाया है. पिटिशनर की तरफ से सीनियर एडवोकेट एच एस फुल्का ने कहा कि क्राइम सीन पर कमलनाथ की मौजूदगी पुलिस रिकॉर्ड में अच्छी तरह से दर्ज थी. इसके अलावा कई सारे न्यूज पेपरों ने घटना की जगह और समय पर उनकी मौजूदगी का जिक्र किया था. हालांकि, सरकार ने अपनी स्टेट्स रिपोर्ट में इन बातों पर ध्यान नहीं दिया. यह एप्लीकेशन सिरसा की मुख्य पिटीशन में फाइल की गई थी, जिसमें 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े मामले में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के कथित रोल के लिए उनके खिलाफ एक्शन लेने की मांग की थी. हाई कोर्ट ने इससे पहले जनवरी, 2022 को एसआईटी पिटीशन पर स्टेटस रिपोर्ट फाइल करने को कहा था. उन्होंने एसआईटी को 1984 में यहां पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में कमलनाथ के खिलाफ एक्शन लेने का निर्देश देने की मांग की.
आरोपों से कर दिया था इनकार
हाई कोर्ट ने एसआईटी को 1984 में पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में दर्ज FIR में कमलनाथ के खिलाफ एक्शन लेने का निर्देश देने की मांग की, जिसमें पांच लोगों को मामले में आरोपी बनाया गया था और कथित तौर पर उन्हें कांग्रेस नेता के घर पर ठहराया गया था. हालांकि, सबूतों के अभाव में आरोपियों को बरी कर दिया गया था, लेकिन कमलनाथ का नाम एफआईआर में कभी नहीं था. यह मामला यहां गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब पर दंगाइयों की भीड़ के हमले से जुड़ा है. याचिका में कहा गया है कि दो सिखों इंद्रजीत सिंह और मनमोहन सिंह को गुरुद्वारे परिसर में कथित तौ र पर कमलनाथ के नेतृत्व वाली भीड़ ने जिंदा जला दिया था. इसी बीच कमलनाथ ने आरोपों से इनकार कर दिया था.
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